ग्लोबल वैक्सीन मार्केट रिपोर्ट 2022
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘ग्लोबल वैक्सीन मार्केट रिपोर्ट 2022’ जारी की।
वैक्सीन बाज़ार पर कोविड-19 के प्रभावों को शामिल करते हुए वैक्सीन के असमान वितरण की समस्या को उज़ागर करने वाली यह पहली रिपोर्ट है।
प्रमुख बिंदु
वैक्सीन का असमान वितरण, कोई असमान्य घटना नहीं:
यह दर्शाता है कि असमान वितरण कोविड-19 वैक्सीन के लिये अद्वितीय नहीं है, कम आय वाले देश लगातार उन वैक्सीनों तक पहुँचने हेतु संघर्ष कर रहे हैं जिनकी उच्च आय वाले देशों द्वारा मांग की जा रही है। सीमित वैक्सीन आपूर्ति और असमान वितरण वैश्विक असमानताओं को बढ़ाता है।
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खिलाफ मानव पेपिलोमावायरस (HPV) वैक्सीन केवल 41% कम आय वाले देशों को प्रदान की गई है, जबकि वे उच्च आय वाले देशों की तुलना में 83% अधिक बीमारी के बोझ का वहन करते हैं।
मूल्य असमानताएँ:
वैक्सीन की पहुँच में वहनीयता एक बड़ी बाधा है, जबकि कीमतें आय के आधार पर निर्धारित होती हैं, मूल्य असमानता के कारण मध्यम-आय वाले देशों को कई वैक्सीन उत्पादों के लिये धनी देशों की तुलना में अधिक या उससे भी अधिक भुगतान करना पड़ता है।
मुक्त बाज़ार गतिशीलता:
मुक्त बाज़ार की गतिशीलता दुनिया के कुछ सबसे गरीब और सबसे कमज़ोर लोगों को उनके स्वास्थ्य के अधिकार से वंचित कर रही है। इसलिये जीवन बचाने, बीमारी को रोकने और भविष्य के संकटों के लिये तैयार रहने हेतु वैश्विक वैक्सीन बाज़ार में बदलाव की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान स्केल–अप:
वर्ष 2021 में 141 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की लगभग 16 बिलियन वैक्सीन की आपूर्ति की गई, जो वर्ष 2019 के बाज़ार की मात्रा (5.8 बिलियन) से लगभग तीन गुना और वर्ष 2019 के बाज़ार मूल्य (38 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से लगभग साढ़े तीन गुना अधिक है।
यह वृद्धि मुख्य रूप से कोविड -19 वैक्सीन के कारण देखी गई, जो इस बात की पुष्टि करती है कि स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिये वैक्सीन निर्माण को कैसे बढ़ाया जा सकता है।
विनिर्माण केंद्रित आधार:
हालाँकि दुनिया भर में विनिर्माण क्षमता में वृद्धि हुई है लेकिन यह अत्यधिक केंद्रित है।
अकेले दस निर्माता वैक्सीन की 70% खुराक प्रदान करते हैं (कोविड-19 को छोड़कर)।
व्यापक रूप से उपयोग किये जाने वाले शीर्ष 20 वैक्सीन (जैसे PCV, HPV, खसरा और रूबेला की वैक्सीन) में से प्रत्येक वर्तमान में मुख्य रूप से दो आपूर्तिकर्त्ताओं पर निर्भरे हैं।
वर्ष 2021 में अफ्रीकी और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र वैक्सीन खरीद के मामले में अपनी 90% आपूर्ति के लिये उन निर्माताओं पर निर्भर थे जिनका मुख्यालय कहीं और था।
इन केंद्रीकृत विनिर्माण इकाइयों के कारण वैक्सीन की कमी संबंधी ज़ोखिम के साथ-साथ क्षेत्रीय आपूर्ति असुरक्षा का भी भय बना रहता है।
मज़बूत बौद्धिक संपदा एकाधिकार तथा सीमित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण स्थानीय विनिर्माण क्षमता निर्माण एवं उपयोग की क्षमता को और भी सीमित करता है।
कोविड-19 के अलावा अन्य वैक्सीन में सीमित निवेश:
आमतौर पर आपात जैसी स्थितियों के लिये आवश्यक कई वैक्सीनों के लिये बाज़ारों की स्थिति भी चिंता का विषय है, जैसे कि हैजा, टाइफाइड, चेचक/मंकीपॉक्स, इबोला, मेनिंगोकोकल रोग के प्रकोप के साथ-साथ वैक्सीन की मांग भी बढ़ती है, इसलिये इस संबंध में कम अनुमान लगाया जा सकता है।
निरंतर हीं इन वैक्सीन के विनिर्माण में सीमित निवेश के कारण आम जन-जीवन के स्वास्थ्य के लिये यह विनाशकारी हो सकता है।
प्रतिरक्षण रणनीति– 2030 (IA 2030):
यह रिपोर्ट प्रतिरक्षण रणनीति- 2030 (IA 2030) लक्ष्यों को प्राप्त करने और महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया प्रयासों को सूचित करने की दिशा में सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंडा के साथ वैक्सीनों के विकास, उत्पादन एवं वितरण के अधिक संरेखण के अवसरों पर प्रकाश डालती है।
रिपोर्ट की सिफारिशें:
सरकारों के लिये:
प्रतिरक्षण हेतु एक स्पष्ट टीकाकरण योजना तैयार करने के साथ व्यापक निवेश की व्यवस्था करना।
वैक्सीन के विकास, उत्पादन और वितरण की मज़बूत निगरानी व्यवस्था सुनिश्चि करना।
क्षेत्रीय अनुसंधान और विनिर्माण केंद्रों पर ज़ोर देना।
वैक्सीन वितरण, बौद्धिक संपदा और वस्तुओं के आदान-प्रदान तथा प्रसार की कमी जैसे मुद्दों पर सरकारी सहयोग के लिये पूर्व-सहमत नियम तैयार करना।
उद्योग के लिये:
WHO द्वारा निर्धारित प्राथमिकता वाले रोगजनकों के लिये अनुसंधान प्रयासों पर ध्यान देना।
पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुगम बनाना।
विशिष्ट इक्विटी-संचालित आवंटन उपायों के लिये प्रतिबद्ध होना।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और भागीदारों के लिये:
प्रतिरक्षण रणनीति 2030 के लक्ष्यों को प्राथमिकता देना।
देशों द्वारा संचालित पहलों का समर्थन करना।
बाज़ार पारदर्शिता के संकल्पों को लागू करने के लिये दबाव बनाना।
राष्ट्रीय पक्षी दिवस
राष्ट्रीय पक्षी दिवस प्रतिवर्ष ’12 नवंबर’ को मनाया जाता है। 12 नवंबर डॉ. सलीम अली का जन्म दिवस है, वे विश्वविख्यात पक्षी विशेषज्ञ एवं प्रकृतिवादी थे। वे भारत के ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत भर में व्यवस्थित रूप से पक्षी सर्वेक्षण का आयोजन किया और पक्षियों पर लिखी उनकी किताबों ने भारत में पक्षी-विज्ञान के विकास में काफी मदद की। भारत में इन्हें “पक्षी मानव” के नाम से भी जाना जाता था। पक्षी विशेषज्ञ सलीम अली के जन्म दिवस को ‘भारत सरकार’ द्वारा राष्ट्रीय पक्षी दिवस घोषित किया गया है। सलीम अली ने पक्षियों से संबंधित अनेक पुस्तकें लिखी थीं, ‘बर्ड्स ऑफ़ इंडिया’ इनमें सबसे लोकप्रिय पुस्तक है। डाक विभाग ने इनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया है। वर्ष 1958 में सलीम अली को ‘पद्मभूषण’ तथा वर्ष 1976 में ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित किया गया था।
एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप
एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में भारत की मुक्केबाज़ों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए चार स्वर्ण पदक जीते। परवीन, लवलीना बोरगोहाईं, स्वीटी बोरा और आल्फिया पठान ने शानदान प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। जॉर्डन में 11 नवंबर, 2022 को फाइनल में परवीन ने जापान की कितो माइ को जबकि लवलीना ने उज़्बेकिस्तान की रूजमेटोवा सोखिबा को हराया। स्वीटी ने कज़ाखस्तान की गुलसाया यरजे़हान को पराजित किया। आल्फिया पठान को इस्लाम हुसेली के डिस्क्वालिफाइड होने से स्वर्ण पदक मिला। इससे पहले मीनाक्षी ने रजत पदक हासिल किया। इस प्रकार भारतीय महिला मुक्केबाजों ने प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए चार स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य सहित कुल सात पदक जीते।एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप एशिया में मुक्केबाज़ी के शौकीनों के लिये सबसे बड़ी प्रतियोगिता है। पहला टूर्नामेंट वर्ष 1963 में बैंकाक, थाईलैंड द्वारा आयोजित किया गया था।