द्वितीय विश्व भू-स्थानिक सूचना कॉन्ग्रेस
हाल ही में दूसरी संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कॉन्ग्रेस (United Nations World Geospatial Information Congress- UNWGIC) का उद्घाटन हैदराबाद में ‘जियो-इनेबलिंग द ग्लोबल विलेज: नो वन शुड बी लेफ्ट बिहाइंड’ (Geo-Enabling the Global Village: No one should be left behind) विषय के तहत किया गया।
भारत की भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था के वर्ष 2025 तक 12.8% की वृद्धि दर के साथ 63,100 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है।
संयुक्त राष्ट्र विश्व भू–स्थानिक सूचना कॉन्ग्रेस:
पहली UNWGIC वर्ष 2018 में चीन के झेजियांग प्रांत के डेकिंग में आयोजित की गई थी।
वैश्विक भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन (UN-GGIM) पर विशेषज्ञों की संयुक्त राष्ट्र समिति प्रत्येक चार वर्ष में UNWGIC का आयोजन करती है।
इसका उद्देश्य भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन और क्षमताओं में सदस्य देशों एवं प्रासंगिक हितधारकों के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना है।
भू–स्थानिक प्रौद्योगिकी:
परिचय:
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग पृथ्वी और मानव समाजों के भौगोलिक मानचित्रण एवं विश्लेषण में योगदान करने वाले आधुनिक उपकरणों की श्रेणी का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
‘भू-स्थानिक’ शब्द उन प्रौद्योगिकियों के संग्रह को संदर्भित करता है जो भौगोलिक जानकारी को एकत्र करने, विश्लेषण करने, संगृहीत करने, प्रबंधित करने, वितरित करने, एकीकृत करने और प्रस्तुत करने में सहायता करते हैं।
इसमें निम्नलिखित प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं:
रिमोट सेंसिंग
भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information System-GIS)
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS)
सर्वेक्षण
3डी मॉडलिंग
महत्त्व:
रोज़गार सृजन:
यह मुख्य रूप से भारत में भू-स्थानिक स्टार्टअप के माध्यम से 10 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करेगा।
सामाजिक–आर्थिक विकास:
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी उत्पादकता बढ़ाने, टिकाऊ बुनियादी ढाँचे की योजना सुनिश्चित करने, प्रभावी प्रशासन और कृषि क्षेत्र की सहायता कर सामाजिक-आर्थिक विकास के प्रमुख सहायकों में से एक बन गई है।
अन्य लाभ:
अन्य लाभों में स्थायी शहरी विकास, आपदाओं का प्रबंधन और शमन, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर निगरानी, वन प्रबंधन, जल प्रबंधन, मरुस्थलीकरण की रोकथाम तथा खाद्य सुरक्षा शामिल हैं।
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उन्नत मानचित्र और मॉडल बनाए जा सकते हैं।
इसका उपयोग बड़ी मात्रा में डेटा में स्थानिक प्रतिरूप को प्रकट करने के लिये किया जा सकता है, जिसे मानचित्रण के माध्यम से सामूहिक रूप से एक्सेस करना जटिल है।
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी स्वामित्त्व, प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना, जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी आदि जैसी राष्ट्रीय विकास परियोजनाओं में समावेश और प्रगति को आगे बढ़ा रही है।
भारत में भू–स्थानिक प्रौद्योगिकी से संबंधित चुनौतियाँ:
बड़े बाज़ार का अभाव:
सबसे प्रमुख बाधाओं में भारत में एक बड़े भू-स्थानिक बाज़ार का अभाव है।
भारत की क्षमता और आकार के पैमाने पर भू-स्थानिक सेवाओं एवं उत्पादों की मांग नहीं है।
मांग की यह कमी मुख्य रूप से सरकारी और निजी क्षेत्रों में संभावित उपयोगकर्त्ताओं के बीच जागरूकता की कमी का परिणाम है।
कुशल जनशक्ति की कमी:
दूसरी बाधा इस पूरे क्षेत्र में कुशल जनशक्ति की कमी रही है।
हालाँकि भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें भू-स्थानिक में प्रशिक्षित किया जाता है, यह ज़्यादातर या तो मास्टर स्तर के कार्यक्रम या नौकरी पर प्रशिक्षण के माध्यम से होता है।
पश्चिम के विपरीत भारत में मुख्य पेशेवरों की कमी है जो भू-स्थानिक तकनीक को पूर्णतः समझते हैं।
डेटा की अनुपलब्धता:
मूल डेटा की अनुपलब्धता (विशेष रूप से उच्च-रिज़ॉल्यूशन पर) भी एक बाधा है।
डेटा साझाकरण और सहयोग पर स्पष्टता की कमी सह-निर्माण एवं संपत्ति अर्जन से रोकती है।
समाधान का उपयोग करने हेतु तैयार नहीं:
इसके अतिरिक्त भारत की समस्याओं को हल करने के लिये विशेष रूप से तैयार समाधान (रेडी-टू-यूज़ सॉल्यूशन) अभी भी नहीं हैं।
संबंधित पहल
गूगल स्ट्रीट व्यू को राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NGP), 2021 के दिशा-निर्देशों के तहत भारत के दस शहरों में लॉन्च किया गया है।
सर्वे ऑफ इंडिया ने सारथी नामक एक वेब भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) विकसित की है। यह उपयोगकर्त्ताओं को बहुत सारे संसाधनों के बिना भू-स्थानिक डेटा विज़ुअलाइज़ेशन, हेरफेर और विश्लेषण के लिये एप्लीकेशन बनाने में मदद करेगा।
सर्वे ऑफ इंडिया के ऑनलाइन मैप्स पोर्टल में राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला और तहसील स्तर के डेटा के साथ 4,000 से अधिक नक्शे हैं जिन्हें अंतिम उपयोगकर्त्ताओं के लिये अनुक्रमित किया गया है।
नेशनल एटलस एंड थीमैटिक मैपिंग ऑर्गनाइजेशन (NATMO) ने भारत के सांस्कृतिक मानचित्र, जलवायु मानचित्र, या आर्थिक मानचित्र जैसे विषयगत मानचित्र पोर्टल पर जारी किये हैं।
NATMO, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक अधीनस्थ विभाग के रूप में कार्य कर रहा है, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है।
भुवन, इसरो द्वारा विकसित और होस्ट किया गया राष्ट्रीय भू-पोर्टल है जिसमें भू-स्थानिक डेटा, सेवाएँ एवं विश्लेषण के लिये उपकरण शामिल हैं।
जियोस्पेशियल इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन ने “भारत में जल क्षेत्र के लिये भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों की क्षमता” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।
आगे की राह
भारत को तेज़ी से विकास के लिये अधिक प्रयास करने की ज़रूरत है, इस हेतु भू-स्थानिक जैसे क्षेत्र में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
सभी सार्वजनिक-वित्तपोषित डेटा को सेवा मॉडल के रूप में बिना किसी शुल्क या नाममात्र के शुल्क के माध्यम से सुलभ बनाने के लिये एक भू-पोर्टल स्थापित करने की आवश्यकता है।
सॉल्यूशन डेवलपर्स और स्टार्टअप्स को विभागों में विभिन्न व्यावसायिक प्रक्रियाओं के लिये सॉल्यूशन टेम्प्लेट बनाने के लिये लगाया जाना चाहिये।
अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस
विश्व स्तर पर आपदा न्यूनीकरण और इसके कारण उत्पन्न होने वाले जोखिम को कम करने के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्ष 13 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ‘अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ की स्थापना वर्ष 1989 में दुनिया भर में आपदा न्यूनीकरण के कार्य को बढ़ावा देने हेतु ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) के आह्वान पर की गई थी। वर्ष 2022 में इस दिवस की थीम “2030 तक लोगों के लिये बहु-खतरा प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और आपदा जोखिम की जानकारी एवं आकलन की उपलब्धता तथा पहुँच में पर्याप्त वृद्धि” है, जो सेंडाई फ्रेमवर्क के लक्ष्य G पर केंद्रित है।
36वें राष्ट्रीय खेलों का समापन
36वें राष्ट्रीय खेल गुजरात के सूरत में भव्य समारोह के साथ 12 अक्तूबर को सम्पन्न हो गए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत ओलंपिक की मेज़बानी करेगा। उन्होंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्त्व में देश में खेलों के लिये सकारात्मक माहौल बनाया गया है। उपराष्ट्रपति ने खेल भावना विकसित करने पर ज़ोर दिया। इसी के मद्देनज़र भारतीय ओलंपिक संघ ने ओलंपिक खेलों के 37वें संस्करण की मेज़बानी के लिये गोवा में इसकी संभावनाओं की भी चर्चा की। खेल जगत के कई गणमान्य व्यक्तियों और लोकसभा अध्यक्ष ओमप्रकाश बिरला, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, गुजरात के खेल मंत्री हर्ष संघवी तथा बड़ी संख्या में खिलाड़ियों ने इस समापन समारोह में हिस्सा लिया। राष्ट्रीय खेलों के अंतिम दिन सर्विसेज़ ने शानदार प्रदर्शन के साथ 61 स्वर्ण सहित कुल 128 पदक अपने नाम किये और शीर्ष पर रहा। महाराष्ट्र ने 39 स्वर्ण के साथ दूसरा तथा हरियाणा ने 38 स्वर्ण लेकर तीसरा स्थान हासिल किया।
‘ग्रामीण उद्यमी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम’
केंद्रीय उद्यमिता, कौशल विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री 14 अक्तूबर को रांची में ‘ग्रामीण उद्यमी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम’ (ग्राम अभियंता कार्यक्रम) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे। इस दीक्षांत समारोह में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस 165 प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र प्रदान करेंगे। ग्रामीण उद्यमी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण पर आधारित है, इसका लक्ष्य ग्रामीण युवाओं को विशिष्ट कौशल प्राप्त करने के अवसर प्रदान कर सशक्त बनाना है। संबंधित पायलट प्रोजेक्ट इस वर्ष मई में मध्य प्रदेश के भोपाल में शुरू किया गया था और इसके तहत पाँच राज्यों (मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र) को कवर किया गया था, पहले चरण के दौरान 152 अभ्यर्थियों ने नामांकन कराया, जिनमें से 132 अभ्यर्थियों ने सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम पूरा किया और उन्हें प्रमाण पत्र दिये गए। इस दौरान प्रशिक्षण पाँच विषयों यथा विद्युत एवं सौर ऊर्जा, कृषि यंत्रीकरण, ई-गवर्नेंस, नलसाज़ी (प्लंबिंग) व चिनाई, दुपहिया वाहनों की मरम्मत और रखरखाव में प्रदान किया गया। इसका अगला चरण चार राज्यों यथा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा में आयोजित किया जाएगा, जिसमें कुल 165 अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र दिये जाएंगे। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को मज़बूत करना और आजीविका के अवसरों के लिये प्रवास एवं साथ ही शहरों पर निर्भरता को सीमित करना है।