Daily Current Affairs – 16th November 2022

भारत के शहरी बुनियादी ढाँचे हेतु वित्तपोषण

 

हाल ही में विश्व बैंक द्वारा “फाइनेंसिंग इंडियाज़ अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर नीड्स: कंस्ट्रेंट्स टू कमर्शियल फाइनेंसिंग एंड प्रॉस्पेक्ट्स फॉर पॉलिसी एक्शन” शीर्षक से रिपोर्ट जारी की गई।

यह रिपोर्ट उभरती हुई वित्तीय कमियों को पूरा करने के लिये निजी और वाणिज्यिक निवेशों का अधिक लाभ उठाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।

प्रमुख बिंदु

निवेश की आवश्यकता:

अगर भारत को अपनी तेज़ी से बढ़ती शहरी आबादी की ज़रूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा करना है तो उसे अगले 15 वर्षों में शहरी बुनियादी ढाँचे में 840 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की आवश्यकता होगी।

शहरों में रहने वाले लोग:

वर्ष 2036 तक 600 मिलियन लोग भारत के शहरों में रह रहे होंगे, जो जनसंख्या का 40% प्रतिनिधित्व करते हैं।

इससे स्वच्छ पेयजल, विश्वसनीय विद्युत् आपूर्ति, कुशल और सुरक्षित सड़क परिवहन आदि की अधिक मांग के साथ भारतीय शहरों की शहरी अवसंरचना और सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ने की संभावना है।

वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकारें शहर के बुनियादी ढाँचे में 75% से अधिक का वित्तपोषण करती हैं, जबकि शहरी स्थानीय निकाय (ULB) अपने स्वयं के अधिशेष राजस्व के माध्यम से 15% का वित्तपोषण करते हैं।

वर्तमान में भारतीय शहरों की बुनियादी ढाँचे की ज़रूरतों का केवल 5% ही निजी स्रोतों के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है।

केंद्र के प्रमुख शहरी मिशनों का धीमा कार्यान्वयन:

उदाहरण के लिये स्मार्ट सिटी मिशन (SCM) और प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसे केंद्र के कई प्रमुख शहरी मिशनों पर राज्यों एवं शहरी स्थानीय निकायों (ULB) द्वारा धीमा कार्यान्वयन प्रदर्शन भी चिंता का विषय है, क्योंकि इससे शहरी स्तर पर कार्यान्वयन क्षमता बाधित होती है।

ULB ने अब तक पूरे भारत में पिछले छह वित्तीय वर्षों में SCM (कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT) के तहत अनुमोदित परियोजनाओं के संचयी लागत या परिव्यय का लगभग पाँचावाँ हिस्सा ही निष्पादित किया है।

शहरी अवसंरचना हेतु PPP अंतरण:

भारत में शहरी बुनियादी ढाँचे के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) अंतरण ने पिछले दशक में मौद्रिक मूल्य और अंतरण की मात्रा दोनों में एक उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है – वर्ष 2000 से शहरी क्षेत्र में 124 PPP परियोजनाओं को कुल 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तपोषण किया गया है।

हालाँकि PPP परियोजना वित्तपोषण में वर्ष 2007 और 2012 के बीच “संक्षिप्त लेकिन पर्याप्त वृद्धि” के बाद काफी गिरावट आई है, जब इनमें से अधिकांश परियोजनाओं को सम्मानित किया गया था। वर्ष 2000 के बाद से प्रदान किये गए सभी PPP निवेशों में से केवल एक-तिहाई निवेश पिछले दशक में हुआ जिसमें 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर की 55 परियोजनाएँ शामिल हैं।

सुझाव:

यह सुझाव दिया गया है कि शहरी एजेंसियों को बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिये और अधिक अधिकार प्रदान किये जाए।

पिछले तीन वित्तीय वर्षों में दस सबसे बड़े ULB के पूंजीगत बजट का केवल दो-तिहाई खर्च किया जा सका।

यह रिपोर्ट मध्यम अवधि के लिये कई संरचनात्मक परिवर्तनों की सिफारिश करती है, जिसमें राजकोषीय हस्तांतरण प्रणाली और कराधान नीति शामिल हैं।

यह शहरों को अधिक निजी वित्तपोषण का लाभ उठाने में मदद कर सकती है।

इसने शहरों के लिये फॉर्मूला-आधारित तथा बिना शर्त वित्त अंतरण के साथ-साथ शहरी एजेंसी के अधिदेश के प्रगतिशील विस्तार का सुझाव दिया।

शहरीकरण:

परिचय:

जनसंख्या का ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरण, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की संख्या में तदनुरूप गिरावट और जिस प्रकार से समाज इस परिवर्तन के अनुरूप स्वयं को ढालता हैं, समग्र रूप से इसे शहरीकरण कहा जाता है।

शहरीकरण के कारण:

प्राकृतिक रूप से जनसंख्या वृद्धि: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब मृत्यु दर की तुलना में जन्म दर अधिक होती है।

ग्रामीण से शहरी प्रवास: यह ऐसे कारकों जो लोगों को शहरी क्षेत्रों में आकर्षित करते हैं और ऐसे कारणों जो लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों से दूर भगाते हैं, से प्रेरित है।

रोज़गार के अवसर, शैक्षणिक संस्थान और शहरी जीवन-शैली मुख्य आकर्षण के कारक हैं।

साथ ही रहने की खराब स्थिति, शैक्षिक और आर्थिक अवसरों की कमी तथा खराब स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ मुख्य कारक हैं

वैश्विक शहरीकरण:

सबसे अधिक शहरीकृत क्षेत्रों में उत्तरी अमेरिका (2022 तक शहरी क्षेत्रों में 83% आबादी ), लैटिन अमेरिका और कैरिबियन (81%), यूरोप (75%) तथा ओशिनिया (67%) शामिल हैं।

एशिया में शहरीकरण का स्तर लगभग 52% है।

अफ्रीका का परिवेश अधिकांशतः ग्रामीण है, इसकी 44% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है।

संबंधित पहल:

शहरीकरण के लिये भारत की पहल:

शहरी विकास से संबंधित योजनाएँ/कार्यक्रम:

स्मार्ट शहर

अमृत मिशन

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी

हृदय योजना

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी

स्लम वासियों/शहरी गरीबों के लिये सरकार की पहल:

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना

आत्मनिर्भर भारत अभियान (आत्मनिर्भर भारत)

 

पंचायत अनुसूचित विस्‍तार अधिनियम

 

मध्‍य प्रदेश सरकार ने पंचायत अनुसूचित विस्‍तार अधिनियम लागू कर दिया है। राष्‍ट्रपति ने 15 नवंबर, 2022 को मध्‍य प्रदेश के शहडोल ज़िले में एक कार्यक्रम में इसकी औपचारिक घोषणाा की। इसका उपयोग जनजातीय समुदाय के लोगों को सशक्‍त बनाने के लिये किया जाएगा। इस अधिनियम का उद्देश्‍य ग्राम सभाओं की सक्रिय भागीदारी से जनजातीय लोगों को शोषण से बचाना है। यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में विशेष अधिकार देता है। पंचायत अनुसूचित विस्‍तार अधिनियम (PESA/पेसा) वर्ष 1996 में “पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिये” अधिनियमित किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 243-243ZT के भाग IX में नगर पालिकाओं और सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान हैं। इस अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्र वे हैं जिन्हें अनुच्छेद 244 (1) में संदर्भित किया गया है, जिसके अनुसार पाँचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों की अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे। पाँचवीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधानों की शृंखला प्रदान करती है।

 

भारतीय ओलंपिक संघ एथलीट आयोग

 

ओलंपिक पदक विजेता एम.सी मैरीकॉम, पी.वी. सिंधु, मीराबाई चानु और गगन नारंग आदि दस प्रमुख खिलाड़ियों को भारतीय ओलंपिक संघ एथलीट आयोग का सदस्य चुना गया है। इस सर्वोच्च संस्था के सदस्य के रूप में पाँच पुरुष एवं पाँच महिला खिलाड़ियों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। विंटर ओलंपिक के खिलाड़ी शिवा केशवन, टेबल टेनिस खिलाड़ी शरत कमल, महिला हॉकी कप्तान रानी रामपाल, तलवारबाज़ भवानी देवी, नौकायन खिलाड़ी बजरंग लाल तथा पूर्व शॉटपुट खिलाड़ी ओमप्रकाश सिंतथाकरहाना इस संस्था के अन्य छह सदस्य निर्वाचित हुए हैं। ये सभी ओलंपिक खिलाड़ी हैं। भारतीय ओलंपिक संघ भारत की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (NOC) है। संघ का कार्य ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों व अन्य अंतर्राष्ट्रीय बहु-खेल प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्त्व करने वाले एथलीटों का चयन करना और भारतीय टीम का प्रबंधन करना है। यह भारतीय राष्ट्रमंडल खेल संघ की तरह ही कार्य करता है, तथा राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधिित्त्व करने वाले एथलीटों का भी चयन करता है।