Daily Current Affairs – 20th July 2022

भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति

 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि धार्मिक और भाषायी समुदायों की अल्पसंख्यक स्थिति “राज्य-निर्भर” है।

 

संबंधित याचिका:

याचिका में शिकायत की गई है कि लद्दाख, मिज़ोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, पंजाब और उत्तर-पूर्वी राज्यों में यहूदी, वहाबी तथा हिंदू धर्म के अनुयायी वास्तविक अल्पसंख्यक हैं।

हालाँकि वे राज्य स्तर पर ‘अल्पसंख्यक’ की पहचान न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना एवं उनका प्रशासन नहीं कर सकते हैं।

यहांँ हिंदू जैसे धार्मिक समुदाय सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप से गैर-प्रमुख और कई राज्यों में संख्या में न्यून हैं।

निर्णय:

भारत का प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी राज्य में अल्पसंख्यक हो सकता है।

एक मराठी अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के बाहर अल्पसंख्यक हो सकता है।

इसी तरह एक कन्नड़ भाषी व्यक्ति कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों में अल्पसंख्यक हो सकता है।

कोर्ट ने संकेत दिया कि एक धार्मिक या भाषायी समुदाय जो किसी विशेष राज्य में अल्पसंख्यक है, संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने के अधिकार का दावा कर सकता है।

भारत सरकार द्वारा अधिसूचित अल्पसंख्यक:

वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (C) के तहत अधिसूचित समुदायों को ही अल्पसंख्यक माना जाता है।

टीएमए पाई मामले में सर्वोच्च न्यायलय के 11 न्यायाधीशों की बेंच के फैसले, जिसने स्पष्ट रूप से निर्धारित किया कि भाषायी और धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान राष्ट्रीय स्तर के बज़ाय राज्य स्तर पर की जानी चाहिये, के बावजूद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) अधिनियम, 1992 की धारा 2 (C) ने अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने के लिये केंद्र को “बेलगाम शक्ति” दी।

NCM अधिनियम, 1992 के साथ ही वर्ष 1992 में MC वैधानिक निकाय बन गया, जिसका नाम बदलकर NCM कर दिया गया।

वर्ष 1993 में पहला सांविधिक राष्ट्रीय आयोग स्थापित किया गया था और पाँच धार्मिक समुदाय अर्थात् मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध तथा पारसी को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया था।

वर्ष 2014 में जैनियों को भी अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया था।

अल्पसंख्यकों हेतु संवैधानिक प्रावधान:

अनुच्छेद 29:

यह प्रावधान करता है कि भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग की अपनी एक अलग भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे संरक्षित करने का अधिकार होगा।

यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ भाषायी अल्पसंख्यकों दोनों को सुरक्षा प्रदान करता है।

हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि इस अनुच्छेद का दायरा केवल अल्पसंख्यकों तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि अनुच्छेद में ‘नागरिकों के वर्ग’ शब्द के उपयोग में अल्पसंख्यकों के साथ-साथ बहुसंख्यक भी शामिल हैं।

अनुच्छेद 30:

सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार होगा।

अनुच्छेद 30 के तहत सुरक्षा केवल अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषायी) तक ही सीमित है और नागरिकों के किसी भी वर्ग (अनुच्छेद 29 के तहत) तक नहीं है।

अनुच्छेद 350(B):

7वें संवैधानिक (संशोधन) अधिनियम, 1956 ने इस अनुच्छेद को सम्मिलित किया जो भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त विशेष अधिकारी का प्रावधान करता है।

इस विशेष अधिकारी का कर्तव्य होगा कि वह संविधान के तहत भाषायी अल्पसंख्यकों हेतु प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच करे।

 

आशीष कुमार 

 

 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के नए प्रमुख आशीष कुमार चौहान होंगे। आशीष कुमार चौहान की उम्मीदवारी को ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)’ ने मंज़ूरी दे दी है। वह NSE के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बनेंगे। वर्तमान में वह बीएसई के एमडी और सीईओ हैं।  बीएसई में यह उनका पांँच साल का दूसरा कार्यकाल है। उनका कार्यकाल नवंबर, 2022 में समाप्त होने वाला है। NSE के एमडी और सीईओ विक्रम लिमये के पद से इस्तीफा देने के बाद उनके नाम को मंज़ूरी दे दी गई थी। अब आशीष कुमार चौहान को NSE का कार्यभार संभालने के लिये शेयरधारकों की मंज़ूरी की आवश्यकता होगी।आशीष कुमार चौहान IIT और IIM के पूर्व छात्र हैं। NSE में जाने से पहले उनका कॅरियर IDBI बैंक में शुरू हुआ। उन्होंने वर्ष 1993-2000 के दौरान एनएसई में डेरिवेटिव सेगमेंट के विकास में काम किया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार है। वर्ष 1992 में निगमित NSE एक परिष्कृत और इलेक्ट्रॉनिक बाज़ार के रूप में विकसित हुआ, जो इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम (Equity Trading Volume) के लिहाज़ से दुनिया में चौथे स्थान पर था। यह भारत का पहला पूरी तरह से स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सुविधा प्रदान करने वाला एक्सचेंज है। NSE के पास भारत में सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का नेटवर्क है। NIFTY 50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड का प्रमुख सूचकांक है। यह सूचकांक ब्लू चिप कंपनियों, सबसे बड़ी और सबसे अधिक तरल भारतीय प्रतिभूतियों के पोर्टफोलियो व्यवहार को ट्रैक करता है। इसमें NSE पर सूचीबद्ध लगभग 1600 कंपनियों में से 50 शामिल हैं। वर्ष 2021 में यह कारोबार किये गए अनुबंधों की संख्या के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज बन गया।

 

केरल की अपनी इंटरनेट सेवा 

 

हाल ही में केरल अपनी इंटरनेट सेवा KFON (Kerala Fibre Optic Network) शुरू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। दूरसंचार विभाग द्वारा राज्य के सभी निवासियों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करने हेतु KFON Ltd को इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) लाइसेंस देने के बाद केरल के मुख्यमंत्री द्वारा इसकी घोषणा की गई है। KFON केरल सरकार की पहल है, जिसे राज्य में डिजिटल अंतर को खत्म करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। सरकार के अनुसार, इस परियोजना के तहत बनाया गया बुनियादी ढाँचा केरल में वर्तमान दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा होगा। इसका उद्देश्य सभी सेवा प्रदाताओं को उनके संपर्क अंतराल को कम करने के लिये गैर-भेदभावपूर्ण पहुँच प्रदान करने हेतु कोर नेटवर्क अवसंरचना का निर्माण करना है। सभी सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों में विश्वसनीय, सुरक्षित और स्केलेबल इंटरनेट प्रदान किया जाएगा, साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को मुफ्त इंटरनेट प्रदान करने हेतु इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, सिस्टम ऑपरेटरों तथा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदारी को बढ़ावा जाएगा।

 

जेद्दा शिखर सम्मेलन

 

सऊदी अरब के जेद्दा शहर में जेद्दा सुरक्षा और विकास शिखर सम्मेलन का आयोजन 16 जुलाई, 2022 को संपन्न हुआ। इस शिखर सम्मेलन में खाड़ी सहयोग परिषद और अमेरिका के नेताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान नेताओं ने देशों के बीच साझा ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में देशों के संयुक्त सहयोग को बढ़ावा देना है। सम्मेलन के दौरान खाड़ी देशों के नेताओं ने मध्य पूर्व क्षेत्र में अपनी रणनीतिक साझेदारी में अमेरिका द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका को सही ठहराया। नेताओं ने एक समृद्ध और शांतिपूर्ण मध्य-पूर्व के लिये अपने संयुक्त दृष्टिकोण को भी दोहराया तथा क्षेत्र में सुरक्षा एवं स्थिरता की रक्षा के लिये सभी आवश्यक उपाय करने पर ज़ोर दिया। नेताओं ने सहयोग और एकीकरण के आपसी क्षेत्रों को विकसित करने, अच्छे पड़ोसी एवं आपसी सम्मान के सिद्धांतों पर टिके रहने के साथ-साथ खतरों से निपटने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था और UNRWA (United Nations Relief and Works Agency for Palestine Refugees) का समर्थन करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इस शिखर सम्मेलन के दौरान सतत् विकास के लिये देशों के बीच संयुक्त परियोजनाओं के निर्माण की प्रतिबद्धता को भी नवीनीकृत किया गया। सम्मेलन के दौरान नेताओं ने संयुक्त टास्क फोर्स 153 और टास्क फोर्स 59 की स्थापना का स्वागत किया। दोनों टास्क फोर्स की स्थापना संयुक्त रक्षा समन्वय को मज़बूत करने, संयुक्त नौसेना रक्षा में सुधार करने और समुद्री सुरक्षा खतरों से निपटने के लिये की गई है।