पर्यावरण प्रभाव आकलन
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA ) नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया है, जिसमें पर्यावरण मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये कई प्रकार की छूट दी गई है।
किसी क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर इसके संभावित प्रतिकूल प्रभावों का आकलन (तद्नुसार कम करने) करने हेतु एक परियोजना या गतिविधि के बारे में सभी प्रासंगिक जानकारियों की जाँच करने के लिये वर्ष 2006 में MoEFCC द्वारा एक नई EIA अधिसूचना जारी की गई थी जिसमे वर्ष 2016, 2020 और 2021 में संशोधन किये गए थे।
परियोजनाओं को छूट:
सामरिक और रक्षा परियोजनाएँ:
सामरिक और रक्षा महत्त्व की राजमार्ग परियोजनाएँ, जो नियंत्रण रेखा से 100 किमी. की दूरी पर हैं, को अन्य स्थानों की तुलना में निर्माण से पहले पर्यावरण मंज़ूरी से छूट दी जाती है।
सीमावर्ती राज्यों में रक्षा और सामरिक महत्त्व से संबंधित राजमार्ग परियोजनाएंँ प्रकृति में संवेदनशील होती हैं और इन्हें कई मामलों में रणनीतिक, रक्षा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता पर निष्पादित करने की आवश्यकता होती है।
रणनीतिक महत्त्व के राजमार्गों को दी जाने वाली छूट विवादास्पद चार धाम परियोजना के निर्माण के लिये हरित मंज़ूरी की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिसमें उत्तराखंड के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री एवं गंगोत्री मंदिरों से कनेक्टिविटी में सुधार के लिये 899 किलोमीटर सड़कों को चौड़ा करना शामिल है। .
फिलहाल मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायलय में चल रही है, जिसने मामले की जांँच के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है।
बायोमास आधारित विद्युत संयंत्र:
कोयला, लिग्नाइट या पेट्रोलियम उत्पादों जैसे सहायक ईंधन का उपयोग करने वाले उन बायोमास या गैर-खतरनाक नगरपालिका ठोस अपशिष्ट पर आधारित 15 मेगावाट तक के ताप विद्युत संयंत्रों को भी छूट दी गई है जब तक कि ईंधन मिश्रण पर्यावरण के अनुकूल है।
मत्स्य प्रबंधन वाले बंदरगाह और डॉकयार्ड:
अन्य की तुलना में कम प्रदूषण, मत्स्य प्रबंधन तथा छोटे मछुआरों की ज़रूरतों को पूरा करने वाले बंदरगाहों और डॉकयार्डों को पर्यावरण मंज़ूरी से छूट दी गई है।
टोल प्लाज़ा:
टोल प्लाज़ा जिन्हें बड़ी संख्या में वाहनों की आवाजाही के लिये टोल संग्रह बूथों की स्थापना हेतु अधिक चौड़ाई वाले स्थान की आवश्यकता होती है और मौजूदा हवाई अड्डे, जिन्हें टर्मिनल बिल्डिंग विस्तार से संबंधित गतिविधियों की आवश्यकता होती है, हवाई अड्डों के मौजूदा क्षेत्र में वृद्धि के बिना (रनवे आदि के विस्तार के अतिरिक्त) दो अन्य परियोजनाओं को छूट दी गई है।
पर्यावरणीय प्रभाव आकलन:
परिचय:
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) को किसी परियोजना से संबंधित निर्णय लेने से पूर्व पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों की पहचान करने हेतु उपयोग किये जाने वाले उपकरण के रूप में परिभाषित किया जाता है।
लक्ष्य:
परियोजना नियोजन और डिज़ाइन के प्रारंभिक चरण में पर्यावरणीय प्रभावों की भविष्यवाणी करना, प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के तरीके और साधन खोजना, परियोजनाओं को स्थानीय पर्यावरण के अनुरूप आकार देना तथा निर्णय निर्माताओं के लिये विकल्प प्रस्तुत करना।
प्रक्रिया:
स्क्रीनिंग: EIA का पहला चरण, जो यह निर्धारित करता है कि प्रस्तावित परियोजना के लिये EIA की आवश्यकता है या नहीं और यदि है तो मूल्यांकन के किस स्तर की आवश्यकता होगी।
स्कोपिंग: यह चरण उन प्रमुख मुद्दों एवं प्रभावों का निर्धारण करता है जिनकी आगे जाँच की जानी चाहिये। यह चरण अध्ययन की सीमा तथा समय-सीमा को भी परिभाषित करता है।
प्रभाव विश्लेषण: EIA का यह चरण प्रस्तावित परियोजना के संभावित पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव का निर्धारण एवं पूर्वानुमान प्रदान करता है तथा महत्त्व का मूल्यांकन करता है।
मिटिगेशन: EIA का यह कदम विकास गतिविधियों के संभावित प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने तथा उनसे बचने के लिये कार्यों की संस्तुति करता है।
रिपोर्टिंग: यह चरण निर्णय निर्माण निकाय एवं अन्य इच्छुक पक्षकारों की रिपोर्ट के रूप में EIA के परिणाम प्रस्तुत करता है।
जन सुनवाई: EIA रिपोर्ट के पूरा होने पर परियोजना स्थल के करीब रहने वाले सार्वजनिक और पर्यावरण समूहों को सूचित किया जा सकता है तथा उनसे परामर्श किया जा सकता है।
EIA की समीक्षा: यह EIA रिपोर्ट की पर्याप्तता एवं प्रभावशीलता की जाँच करती है तथा निर्णय निर्माण के लिये आवश्यक जानकारी प्रदान करती है।
निर्णय लेना: यह इस बात को निर्धारित करता है कि परियोजना को अस्वीकार कर दिया गया है, स्वीकृत किया गया है अथवा इसमें और परिवर्तनों की आवश्यकता है।
निगरानी के बाद: परियोजना के प्रारंभ होने के पश्चात् यह चरण अस्तित्व में आता है जो यह सुनिश्चित करने के लिये जाँच करता है कि परियोजना के प्रभाव कानूनी मानकों से अधिक नहीं हैं एवं शमन उपायों का कार्यान्वयन EIA रिपोर्ट में वर्णित तरीके से हुआ है।
गोल 2.0
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जनजातीय मामलों के मंत्रालय और मेटा (पूर्व में फेसबुक) ने गोल प्रोग्राम (GOAL 2.0) का दूसरा चरण शुरू किया है।
GOAL कार्यक्रम:
GOAL (गोइंग ऑनलाइन एज़ लीडर्स) कार्यक्रम को मई 2020 में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था और यह दिसंबर 2021 में पूरा हुआ।
इसका उद्देश्य मेंटॉर (सलाहकार या प्रशिक्षण देने वाला) और मेंटी (प्रशिक्षु) की अवधारणा के माध्यम से जनजातीय युवाओं व महिलाओं का डिजिटल सशक्तीकरण करना है।
यह कार्यक्रम पूरी तरह से मेटा (फेसबुक इंडिया) द्वारा वित्तपोषित है।
इस चरण में प्रशिक्षुओं को तीन पाठ्यक्रम आधारों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया था।
संचार व जीवन कौशल
डिजिटल उपस्थिति को सक्षम बनाना
नेतृत्व व उद्यमिता
GOAL 2.0:
परिचय:
GOAL 2.0 कार्यक्रम जनजातीय समुदाय के सभी लोगों के लिये खुला है।
चरण- I में एक प्रशिक्षक को दो प्रशिक्षकों से जोड़कर ऑनलाइन डिजिटल मेंटरशिप प्रदान की गई।
उद्देश्य:
इस कार्यक्रम का उद्देश्य फेसबुक लाइव सत्र और एक डिजिटल शिक्षण उपकरण- मेटा बिज़नेस कोच के माध्यम से जनजातीय युवाओं के कौशल को बढ़ाना और उन्हें डिजिटल रूप में सक्षम बनाना है।
50,000 वन धन स्वंय सहायता समूहों के 10 लाख से अधिक सदस्यों पर विशेष फोकस रहेगा।
उन्हें अपने उत्पादों की बाज़ार मांग, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और विपणन के संबंध में डिजिटल रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा।
GOAL 2.0 के तहत विभिन्न क्षेत्रों के उद्योग विशेषज्ञों द्वारा क्रमिक सत्रों के आधार पर प्रशिक्षुओं की आवश्यकताओं के अनुरूप चैटबॉट के प्रावधान के साथ जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकिें वे अधिकतम भागीदारी के साथ लाभान्वित हो सकें।
शामिल एजेंसियाँ:
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के समन्वय से जनजातीय कार्य मंत्रालय इस कार्यक्रम के तहत चुने गए 175 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में से प्रत्येक में 6 डिजिटल कक्षाएँ संचालित करेगा।
यह परियोजना ERNET की ओर से कार्यान्वित की जा रही है जो इलेक्ट्रॉनिकी एवं और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeITY) के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
कौशल विकास के लिये कुछ अन्य पहलें:
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY):
स्किल इंडिया मिशन के तहत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) इस योजना को लागू कर रहा है।
PMKVY 3.0 के तहत डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं उद्योग 4.0 पर कौशल विकास हेतु भी ध्यान दिया गया है।
क्षेत्र कौशल परिषदों (SSC) ने नई और उभरती डिजिटल तकनीकों व उद्योग 4.0 कौशल जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) में भी रोज़गार का सृजन किया है।
ई–स्किल इंडिया पोर्टल:
MSDE के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) ने eSkill India पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन कौशल कार्यक्रम शुरू किया है।
यह मंच साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, प्रेडिक्टिव मॉडलिंग, सांख्यिकीय व्यापार विश्लेषिकी, क्लाउड तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर सीखने का अवसर प्रदान करता है, साथ ही डिज़ाइन विधि, परियोजना प्रबंधन और डिजिटल मार्केटिंग जैसे पेशेवर कौशल भी प्रदान करता है।
समग्र शिक्षा:
‘समग्र शिक्षा’ के व्यावसायिक शिक्षा घटक के तहत आने वाले स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के आदिवासी छात्रों सहित स्कूली छात्रों के लिये राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) के अनुरूप व्यावसायिक पाठ्यक्रम पेश किये जाते हैं।
इसमें संचार कौशल, स्व-प्रबंधन कौशल, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी कौशल, उद्यमिता कौशल एवं हरित कौशल शामिल हैं।
व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस
हिमाचल प्रदेश, व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) को इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ERSS) से जोड़ने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। VLTD से लैस सभी पंजीकृत वाणिज्यिक वाहनों को ERSS से जोड़ा जाएगा। इस मैकेनिज़्म के ज़रिये इन वाहनों को भारत में कहीं भी ट्रैक किया जा सकता है। 9,423 से अधिक वाहनों को पंजीकृत कर ERSS के साथ जोड़ा गया है। इस तंत्र के तहत अब पुलिस और परिवहन दोनों ही विभाग वाहनों की निगरानी कर सकते हैं। इस प्रणाली का शुभारंभ मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शिमला के पीटरहॉफ में किया। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक वाहनों में महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा के लिये पैनिक बटन की सुविधा का भी शुभारंभ किया। इमरजेंसी पैनिक बटन सिस्टम और कमांड कंट्रोल सेंटर से युक्त व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस को इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम 112 से जोड़ा गया है। जब संकट के समय इस पैनिक बटन को दबाया जाता है, तो यह सैटेलाइट के ज़रिये 112 पर सिग्नल भेजेगा। इसके बाद सिस्टम संकट में पड़े व्यक्ति को जोड़ेगा और पुलिस को सतर्क करेगा। इस निगरानी केंद्र या कमांड कंट्रोल सेंटर से वाहनों की चोरी और वाहन दुर्घटनाओं का आसानी से पता लगाने में मदद मिलेगी। महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये वाहन की आवाज़ाही की निगरानी करना आसान होगा। यह अभिनव पहल राज्यों में सड़कों को अधिक सुरक्षित बनाएगी।
सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के लिये राष्ट्रीय मानक
18 जुलाई, 2022 को केंद्र सरकार ने सिविल सेवकों की गुणवत्ता और क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से “सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के लिये राष्ट्रीय मानक” (National Standards for Civil Service Training Institutions) का अनावरण किया। NSCSTI को क्षमता निर्माण आयोग के मुख्यालय में लॉन्च किया गया। इसके साथ ही भारत सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के लिये राष्ट्रीय स्तर के मानक बनाने हेतु एक अनूठा मॉडल लॉन्च करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। लॉन्च इवेंट के दौरान राष्ट्रीय मानकों के लिये एक वेब पोर्टल और एप्रोच पेपर का भी अनावरण किया गया। क्षमता निर्माण आयोग को सिविल सेवकों के लिये मिशन कर्मयोगी के एक भाग के रूप में बनाया गया था। इस आयोग में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ तथा वैश्विक पेशेवर शामिल हैं। यह वार्षिक क्षमता निर्माण योजनाओं को तैयार करने एवं निगरानी के साथ-साथ सरकार में मौजूद मानव संसाधनों का ऑडिट करने में मदद करेगा। सितंबर 2020 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “मिशन कर्मयोगी” (Mission Karmayogi) राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (National Programme for Civil Services Capacity Building- NPCSCB) को शुरू करने की मंज़ूरी प्रदान की। कार्यक्रम का लक्ष्य भारतीय सिविल सेवकों को और अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अधिक क्रियाशील, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी तथा प्रौद्योगिकी समर्थ बनाते हुए भविष्य के लिये तैयार करना है।
शतरंज ओलंपियाड की मशाल रिले
शतरंज ओलंपियाड के 44वें संस्करण के हिस्से के रूप में चेन्नई में आयोजित की जा रही मशाल रिले 21 जुलाई, 2022 को केरल पहुँचेगी। कावारत्ती से कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँचने के बाद ग्रैंड मास्टर विष्णु प्रसन्ना (जो शतरंज के लिये प्रसिद्ध है) मशाल को त्रिशूर ज़िले के मर्रोटीचल गाँव ले जाएंगे, जहाँ राज्य के राजस्व मंत्री के. राजन मशाल ग्रहण करेंगे और इसे निहाल सरीन को सौंपेंगे। 22 जुलाई को मशाल को राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम ले जाया जाएगा, जहाँ से यह आंध्र प्रदेश के तिरुपति के लिये रवाना होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई मशाल रिले का समापन 27 जुलाई को चेन्नई के पास महाबलीपुरम में होगा। 44वाँ शतरंज ओलंपियाड 2022 का आयोजन 28 जुलाई से 9 अगस्त तक चेन्नई में किया जाएगा। वर्ष 1927 से आयोजित इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता की मेज़बानी भारत में पहली बार और एशिया में हो 30 साल बाद हो रही है। 189 देशों के भाग लेने के साथ यह किसी भी शतरंज ओलंपियाड में सबसे बड़ी भागीदारी होगी। अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) शतरंज के खेल का शासी निकाय है और यह सभी अंतर्राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिताओं को नियंत्रित करता है। यह एक गैर-सरकारी संस्थान के रूप में गठित है। इसे वर्ष 1999 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा वैश्विक खेल संगठन के रूप में मान्यता दी गई थी।