भारत-मालदीव न्यायिक सहयोग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने भारत और मालदीव के न्यायिक सेवा आयोग के बीच न्यायिक सहयोग के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन (MoU) को मंज़ूरी दी है।
न्यायिक सहयोग के क्षेत्र में भारत और अन्य देशों के बीच यह आठवांँ समझौता ज्ञापन है।
इससे पहले भारत के विदेश मंत्री ने मालदीव की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट (NCPLE) का उद्घाटन किया था।
द्वीपीय राष्ट्र मालदीव के अड्डू शहर में NCPLE भारत की सबसे बड़ी वित्तपोषित परियोजनाओं में से एक है।
समझौते का महत्त्व:
यह समझौता ज्ञापन न्यायालयों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया में सूचना प्रौद्योगिकी की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिये एक उपयुक्त मंच प्रदान करेगा और दोनों देशों की आईटी कंपनियों एवं स्टार्टअप के लिये विकास का एक संभावित क्षेत्र साबित हो सकता है।
इससे दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों को और गति मिलेगी।
यह समझौता न सिर्फ दोनों देशों के बीच न्यायिक एवं अन्य कानूनी क्षेत्रों में ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को संभव बनाएगा बल्कि “पड़ोसी पहले नीति” के उद्देश्यों को भी आगे बढ़ाएगा।
भारत–मालदीव संबंध का महत्त्व:
मालदीव, हिंद महासागर में एक टोल गेट के रूप में है।
इस द्वीप शृंखला के दक्षिणी और उत्तरी भाग में दो महत्त्वपूर्ण ‘सी लाइन्स ऑफ कम्युनिकेशन’ (Sea Lines Of Communication- SLOCs) स्थित हैं।
ये SLOC पश्चिम एशिया में अदन और होर्मुज़ की खाड़ी तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में मलक्का जलडमरूमध्य के बीच समुद्री व्यापार के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
भारत के विदेशी व्यापार का लगभग 50% और इसकी ऊर्जा आयात का 80% हिस्सा अरब सागर में इन SLOCs के माध्यम से होता है।
महत्त्वपूर्ण समूहों का हिस्सा: इसके अलावा भारत और मालदीव दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) तथा दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (एसएएसईसी) के सदस्य हैं।
भारत–मालदीव संबंध:
रक्षा सहयोग: दशकों से भारत ने मालदीव की मांग पर उसे तात्कालिक आपातकालीन सहायता पहुँचाई है।
वर्ष 1988 में जब हथियारबंद आतंकवादियों ने राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गय्यूम सरकार के तख्तापलट की कोशिश की, तो भारत ने ‘ऑपरेशन कैक्टस’ (Operation Cactus) के तहत पैराट्रूपर्स और नेवी जहाज़ों को भेजकर वैध सरकार को पुनः बहाल किया।
भारत और मालदीव ‘एकुवेरिन’ (Ekuverin) नामक एक संयुक्त सैन्य अभ्यास का संचालन करते हैं।
कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव, जो भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस का एक समुद्री सुरक्षा समूह है, का उद्देश्य इन हिंद महासागरीय देशों के बीच समुद्री एवं सुरक्षा मामलों पर सहयोग स्थापित करना है।
कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पाँचवीं बैठक के दौरान मॉरीशस को कॉन्क्लेव के नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया था।
आपदा प्रबंधन: वर्ष 2004 में सुनामी और इसके एक दशक बाद मालदीव में पेयजल संकट कुछ अन्य ऐसे मौके थे जब भारत ने उसे आपदा सहायता पहुँचाई।
मालदीव, भारत द्वारा अपने सभी पड़ोसी देशों को उपलब्ध कराई जा रही COVID-19 सहायता और वैक्सीन के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक रहा है।
मालदीव, भारतीय वैक्सीन मैत्री पहल का पहला लाभार्थी था।
COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के अवरुद्ध रहने के दौरान भी भारत ने मिशन सागर (SAGAR) के तहत मालदीव को महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति जारी रखी।
नागरिक संपर्क: मालदीव के छात्र भारत के शैक्षिक संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करते हैं और मालदीव के मरीज़ भारत द्वारा विस्तारित उदार वीज़ा-मुक्त व्यवस्था का लाभ लेते हुए उच्च कोटि की स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त करने के लिये भारत आते हैं।
आर्थिक सहयोग: पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। वर्तमान में मालदीव कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और कई अन्य भारतीय वहाँ रोज़गार के लिये जाते हैं।
अगस्त 2021 में एक भारतीय कंपनी, ‘एफकॉन’ (Afcons) ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी अवसंरचना परियोजना- ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।
भारत–मालदीव संबंधों में चुनौतियाँ और तनाव:
राजनीतिक अस्थिरता: भारत की सुरक्षा और विकास पर मालदीव की राजनीतिक अस्थिरता का संभावित प्रभाव, एक बड़ी चिंता का विषय है।
गौरतलब है कि फरवरी 2015 में आतंकवाद के आरोपों में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की गिरफ्तारी और इसके बाद के राजनीतिक संकट ने भारत की नेबरहुड पालिसी के लिये वास्तव में एक कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया था।
कट्टरपंथ: मालदीव में पिछले लगभग एक दशक में इस्लामिक स्टेट (IS) जैसे आतंकवादी समूहों और पाकिस्तान स्थित मदरसों तथा जिहादी समूहों की ओर झुकाव वाले नागरिकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
यह पाकिस्तानी आतंकी समूहों द्वारा भारत और भारतीय हितों के खिलाफ आतंकवादी हमलों के लिये मालदीव के सुदूर द्वीपों को एक लॉन्च पैड के रूप में उपयोग करने की संभावना को जन्म देता है।
चीनी पक्ष: हाल के वर्षों में भारत के पड़ोस में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है। मालदीव दक्षिण एशिया में चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।
चीन-भारत संबंधों की अनिश्चितता को देखते हुए मालदीव में चीन की रणनीतिक उपस्थिति चिंता का विषय है।
इसके अलावा मालदीव ने भारत के साथ सौदेबाज़ी के लिये ‘चाइना कार्ड’ का उपयोग शुरू कर दिया है।
आगे की राह
यद्यपि भारत मालदीव का एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है, किंतु भारत को अपनी स्थिति पर संतुष्ट नहीं होना चाहिये और मालदीव के विकास के प्रति अधिक ध्यान देना चाहिये।
दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत को हिंद-प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिये।
इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी स्पेस को भारत के समुद्री प्रभाव क्षेत्र में अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियों (विशेषकर चीन की) की वृद्धि की प्रतिक्रिया के रूप में विकसित किया गया है।
वर्तमान में ‘इंडिया आउट’ अभियान को सीमित आबादी का समर्थन प्राप्त है, लेकिन इसे भारत सरकार द्वारा समर्थन प्रदान नहीं किया जा सकता है।
यदि ‘इंडिया आउट’ के समर्थकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को सावधानी से नहीं संभाला जाता है और भारत, मालदीव के लोगों को द्वीप राष्ट्र पर परियोजनाओं के पीछे अपने इरादों के बारे में प्रभावी ढंग से नहीं समझाता है, तो यह अभियान मालदीव में घरेलू राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है।
पूर्वोत्तर भारत
बैंकॉक के सेंट्रल वर्ल्ड में भारतीय दूतावास द्वारा ट्रेंड एमएमएस ऑफ इंडिया के सहयोग से 29 जुलाई से 31 जुलाई, 2022 तक पूर्वोत्तर भारत महोत्सव के दूसरे संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में आठ राज्य आते हैं। इनमें असम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल हैं। इस उत्सव का पहला संस्करण फरवरी 2019 में आयोजित किया गया था। इससे पूर्वोत्तर के भारतीय व्यापारी समूदाय के लिये व्यापार के अवसर उपलब्ध हुए हैं। विशेषकर पर्यटन, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में व्यापार को बढ़वा मिला है। इस वर्ष के पूर्वोत्तर भारत महोत्सव में व्यापार, निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देने पर अधिक बल दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त संस्कृति, शिक्षा और लोगों के बीच आदान-प्रदान के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे। तीन दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन 29 जुलाई, 2022 को किया जाएगा। विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह इस उत्सव के मुख्य अतिथि होंगे।
विश्व मस्तिष्क दिवस
दुनिया भर में मस्तिष्क स्वास्थ्य से संबंधित जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 22 जुलाई को ‘विश्व मस्तिष्क दिवस’ का आयोजन किया जाता है। गौरतलब है कि यह दिवस 22 जुलाई, 1957 को ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी’ की स्थापना के उपलक्ष में मनाया जाता है। 22 सितंबर, 2013 को ‘वर्ल्ड काॅन्ग्रेस ऑफ न्यूरोलॉजी’ की ‘पब्लिक अवेयरनेस एंड एडवोकेसी कमेटी’ ने प्रतिवर्ष 22 जुलाई को ‘विश्व मस्तिष्क दिवस’ अथवा ‘वर्ल्ड ब्रेन डे’ के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसके पश्चात् 22 जुलाई, 2014 को पहली बार इस दिवस का आयोजन किया गया था। विश्व मस्तिष्क दिवस-2022 की थीम “सभी के लिये मस्तिष्क स्वास्थ्य”(Brain Health for all) है। मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक ऐसा रोग है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही माइलिन (वसायुक्त पदार्थ जो तंत्रिका तंतुओं के चारों और स्थित होता है तथा आवरण के रूप में काम करता है), तंत्रिका तंतुओं तथा शरीर में माइलिन का निर्माण करने वाली विशेष कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, विशेष रूप से मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और दृष्टि से संबंधित नसों को प्रभावित करती है। हालाँकि यह बीमारी पश्चिम के देशों में अधिक प्रचलित रही है, लेकिन हाल के दिनों में भारत में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं। 20-40 वर्ष आयु वर्ग के वयस्क, विशेष रूप से महिलाएँ मल्टीपल स्क्लेरोसिस की चपेट में आती हैं। भारत में जागरूकता बढ़ाने, बड़े पैमाने पर इस महामारी के संबंध में अध्ययन करने, समर्पित मल्टीपल स्क्लेरोसिस क्लीनिक खोलने, इष्टतम पुनर्वास आदि जैसी अन्य सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।
व्हाट्सएप बैंकिंग सेवा
हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने “व्हाट्सएप बैंकिंग सेवा” शुरू की है। इससे SBI ग्राहकों को व्हाट्सएप पर बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने में सहायता मिलेगी और ग्राहकों के लिये बैंकिंग आसान हो जाएगी क्योंकि इससे SBI एप डाउनलोड करने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी। ग्राहक खाते की शेष राशि की जांँच और व्हाट्सएप पर मिनी स्टेटमेंट प्राप्त कर सकेंगे। यह बैंक और ग्राहकों के बीच आसान डेटा ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करेगा। SBI कॉर्पोरेट ग्राहकों एवं एग्रीगेटर्स हेतु एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) बैंकिंग भी शुरू करेगा। इस प्रणाली के तहत API का उपयोग बैंक और क्लाइंट सर्वर के बीच संवाद करने के लिये किया जाता है। जुलाई 2017 में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से मंज़ूरी मिलने के बाद वर्ष 2020 में व्हाट्सएप ने भारत में भुगतान सेवाओं की शुरुआत की थी।