मात्स्यिकी सब्सिडी पर समझौता
हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (WTO) की मंत्रिस्तरीय बैठक में मत्स्य पालन (मात्स्यिकी) सब्सिडी (AFS) पर समझौता हुआ।
समझौते के बारे में:
परिचय:
यह समझौता वैश्विक मछली स्टॉक की बेहतर सुरक्षा के लिये अवैध, गैर-सूचित और अनियमित तरीके (IUU) से मछली पकड़ने के मामले में सब्सिडी पर रोक लगाएगा।
यह समझौता गहरे समुद्री क्षेत्र जो कि तटीय देशों और क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन संगठनों/व्यवस्थाओं के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं, में मछली पकड़ने के मामले में भी सब्सिडी प्रदान करने पर रोक लगाता है।
संक्रमण अवधि भत्ता:
विशेष और विभेदक उपचार (S&DT) के तहत विकासशील देशों तथा अल्प विकसित देशों (LDC) को इस समझौते के लागू होने की तारीख से दो साल की संक्रमण अवधि की अनुमति दी गई है।
निर्दिष्ट अवधि के लिये विनियम को लागू करने हेतु उनका कोई दायित्व नहीं होगा।
छूट प्राप्त क्षेत्र:
WTO के किसी सदस्य पर अपने पोत या प्रचालक को सब्सिडी प्रदान करने या बनाए रखने के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, जब तक कि वह गैर-सूचित और अनियमित तरीके नहीं अपना रहा है।
जब तक इस तरह की सब्सिडी को जैविक रूप से टिकाऊ स्तर पर स्टॉक के पुनर्निर्माण के लिये लागू किया जाता है, तब तक मछली पकड़ने हेतु सब्सिडी प्रदान करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
लाभ:
यह गैर-सूचित और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने में लगे जहज़ों या ऑपरेटरों को दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त कर देगा।
यह बड़े पैमाने पर गैर-सूचित और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने की जाँच करेगा जो भारत जैसे तटीय देशों को मत्स्य संसाधनों से वंचित करेगा, जिसका हमारे मछली पकड़ने वाले समुदायों की आजीविका पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पडेगा।
भारत का स्टैंड
इतनी बड़ी आबादी और मात्स्यिकी संसाधनों का सतत् दोहन करने में अनुशासित राष्ट्रों में से एक होने के बावजूद भारत सबसे कम मात्स्यिकी सब्सिडी देने वाले देशों में से एक है।
भारत अन्य उन्नत तरीकों से मछली पकड़ने वाले देशों की तरह संसाधनों का दोहन नहीं करता है और भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र मुख्य रूप से कई मिलियन छोटे पैमाने के पारंपरिक मछुआरों पर निर्भर करता है।
इसलिये विश्व व्यापार संगठन के वे सदस्य जिन्होंने अतीत में भारी सब्सिडी प्रदान की है और औद्योगिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने के कार्य में लगे हुए हैं तथा जो मछली के स्टॉक में कमी के लिये ज़िम्मेदार है, उन्हें ‘ प्रदूषणकर्त्ता द्वारा भुगतान के सिद्धांत (Polluter Pays Principle)’ एवं ‘सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों’ के आधार पर सब्सिडी को प्रतिबंधित करने हेतु और अधिक दायित्वों को लेना चाहिये।
परिचय:
समुद्री, तटीय और अंतर्देशीय फिशरीज़ क्षेत्रों में जलीय जीवों का कब्ज़ा है।
जलीय कृषि के साथ-साथ समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन, प्रसंस्करण, विपणन तथा वितरण दुनिया भर में लाखों लोगों को भोजन, पोषण व आय का स्रोत प्रदान करते हैं।
कई लोगों के लिये यह उनकी पारंपरिक सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है।
वैश्विक मत्स्य संसाधनों की स्थिरता के लिये सबसे बड़े खतरों में से एक अवैध, असूचित और अनियमित रूप से मछली पकड़ना है।
भारतीय परिदृश्य:
भारत विश्व में जलीय कृषि के माध्यम से मछली उत्पादक दूसरा प्रमुख देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 7.56% हिस्सा है और देश के सकल मूल्यवर्द्धित (GVA) में लगभग 1.24% और कृषि GVA में 7.28% से अधिक का योगदान देता है।
मत्स्य पालन और जलीय कृषि लाखों लोगों के लिये भोजन, पोषण, आय और आजीविका का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
भारत का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक 22 मिलियन मीट्रिक टन मछली उत्पादन करना है।
मत्स्य पालन क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में तीन बड़े परिवर्तन देखे हैं:
अंतर्देशीय जलीय कृषि का विकास, विशेष रूप से मीठे पानी की जलीय कृषि।
मछली पकड़ने में मशीनीकरण का विकास।
खारे पानी के झींगा जलीय कृषि की सफल शुरुआत।
संबंधित सरकारी पहल:
फिशिंग हार्बर:
पाँच प्रमुख फिशिंग हार्बर (कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप, पेटुआघाट) को आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित करना।
समुद्री शैवाल पार्क:
तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क एक हब और स्पोक मॉडल पर विकसित गुणवत्तापूर्ण समुद्री शैवाल आधारित उत्पादों के उत्पादन का केंद्र होगा।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना:
यह 15 लाख मछुआरों, मत्स्य पालकों आदि को प्रत्यक्ष रोज़गार देने का प्रयास है जो अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसरों के रूप में इस संख्या का लगभग तीन गुना है।
इसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक मछुआरों, मत्स्य पालकों और मत्स्य श्रमिकों की आय को दोगुना करना है।
‘पाक बे’ योजना:
‘डायवर्सिफिकेशन ऑफ ट्राउल फिशिंग बोट्स फ्रॉम पाक स्ट्रेट्स इनटू डीप सी फिशिंग बोट्स’ नामक यह योजना वर्ष 2017 में ‘केंद्र प्रायोजित योजना’ के तौर पर लॉन्च की गई थी।
इसे ‘ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम’ के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।
समुद्री मत्स्य पालन विधेयक, 2021:
इस विधेयक में ‘मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958’ के तहत पंजीकृत जहाज़ों को ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ (EEZ) में मछली पकड़ने के लिये लाइसेंस देने का प्रस्ताव शामिल है।
नीरज चोपड़ा
अमेरिका के यूजीन में भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्द्धा का रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। नीरज ने 24 जुलाई, 2022 को अमेरिका में अयोजित प्रतियोगिता के फाइनल में 88.13 मीटर दूरी के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया। ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने 90.54 मीटर के साथ स्वर्ण पदक जीता, जबकि चेक गणराज्य के याकूब वालडेश को कांस्य पदक मिला। नीरज चोपड़ा विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं। विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत ने 19 वर्ष बाद दूसरी बार पदक जीता है। इससे पहले महिलाओं की लंबी कूद में अंजू बॉबी जॉर्ज ने वर्ष 2003 में कांस्य पदक जीता था।
163वांँ आयकर दिवस
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड तथा देश भर में इसके सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में 24 जुलाई, 2022 को 163वांँ आयकर दिवस मनाया गया। 24 जुलाई, 1860 को ब्रिटिश शासन द्वारा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन को हुए नुकसान की भरपाई के लिये सर जेम्स विल्सन द्वारा भारत में पहली बार आयकर पेश किया गया था। वर्ष 1963 में ‘केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963’ (Central Board of Revenue Act, 1963) के माध्यम से केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन दो संस्थाओं- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxation) तथा केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Excise and Customs) का गठन किया गया था, ये दोनों ही संस्थाएँ ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) हैं। CBDT. प्रत्यक्ष करों से संबंधित नीतियों एवं योजनाओं के संबंध में महत्त्वपूर्ण इनपुट प्रदान करने के साथ-साथ आयकर विभाग की सहायता से प्रत्यक्ष करों से संबंधित कानूनों का प्रशासन करता है। वहीं CBEC भारत में सीमा शुल्क (custom duty), केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty), सेवा कर (Service Tax) तथा नारकोटिक्स (Narcotics) के प्रशासन के लिये उत्तरदायी नोडल एजेंसी है।
हरमोहन सिंह यादव
25 जुलाई, 2022 को समाजसेवी हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि है। हरमोहन सिंह यादव ने किसानों, पिछडे वर्गों और समाज के अन्य वंचित वर्गो के हित के लिये जीवन भर प्रयास किया। वे लंबे समय तक राजनीति में भी सक्रिय रहे। उन्होंने विधान परिषद सदस्य, विधायक, राज्यसभा सदस्य और अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष के रूप में काम किया। अपने पुत्र सुखराम सिंह के सहयोग से उन्होंने कानपुर और उसके आसपास अनेक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हरमोहन सिंह यादव को वर्ष 1984 के दंगों के दौरान सिख समुदाय के अनेक सदस्यों की जान बचाने के लिये वर्ष 1991 में शौर्यचक्र से भी सम्मानित किया गया था।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2022
हाल ही में 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की जूरी ने 22 जुलाई, 2022 को वर्ष 2020 के विजेताओं की घोषणा की जिसमें सोरारई पोटरू (Soorarai Pottru) ने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता। सोरारई पोटरू ने चार सबसे बड़े पुरस्कारों में से तीन जीते हैं, सोरारई पोटरू के अभिनेता सूर्या और अजय देवगन को फिल्म तान्हाजी द अनसंग वॉरियर के लिये संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड मिला है। वहीं अपर्णा बालमुरली को सोरारई पोटरू के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वर्ष 1954 में स्थापित किया गया था। यह देश में सबसे प्रमुख फिल्म पुरस्कार समारोह है। फिल्म समारोह निदेशालय भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और भारतीय पैनोरमा के साथ यह पुरस्कार प्रदान करता है। पुरस्कार नई दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रदान किये जाते हैं। इसका आयोजन सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा किया जाता है।