Daily Current Affairs – 27th July 2022

मीडिया ट्रायल

हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा कि मीडिया एजेंडा संचालित बहस और कंगारू कोर्ट चला रहा है, जो लोकतंत्र के लिये उचित नहीं है।

मीडिया ट्रायल:

परिचय:

मीडिया ट्रायल एक ऐसा वाक्यांश है जो 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत में किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर टेलीविजन और समाचार पत्रों के कवरेज के प्रभाव का वर्णन करने हेतु कानून की अदालत में किसी फैसले से पहले या बाद में अपराध या बेगुनाही की व्यापक धारणा बनाने के लिये लोकप्रिय है।

हाल के दिनों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जिनमें मीडिया ने आरोपी के खिलाफ मीडिया ट्रायल कर न्यायालय द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले ही अपना फैसला सुना दिया।

संवैधानिकता:

हालाँकि मीडिया ट्रायल शब्द को कहीं भी सीधे तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह शक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मीडिया को प्राप्त है।

भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

मीडिया  ट्रायल के निहितार्थ:

न्यायिक कामकाज को प्रभावित करता है:

न्यायाधीशों के खिलाफ संयुक्त अभियान, विशेष रूप से सोशल मीडिया संचालित और मीडिया ट्रायल न्यायिक कामकाज को प्रभावित करते हैं।

न्यायालयों में लंबित मुद्दों पर मीडिया में गैर-सूचित, पक्षपातपूर्ण और एजेंडा संचालित बहस न्याय वितरण को प्रभावित कर रहा है।

नकली और असली में भेद कर पाना:

नए मीडिया उपकरणों में व्यापक विस्तार की क्षमता है लेकिन वे सही और गलत, अच्छे तथा बुरे एवं असली व नकली के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं।

मीडिया ट्रायल मामलों को तय करने में एक मार्गदर्शक कारक नहीं हो सकता है।

गलत वर्णन:

मीडिया उन घटनाओं का वर्णन करने में सफल रहा है जिन्हें गुप्त रखा जाना चाहिये।

मीडिया परीक्षण कथित अभियुक्तों के गलत वर्णन का कारण बना है और इसने उनके कॅरियर को समाप्त करने का काम किया है, केवल इस तथ्य से कि वे आरोपी थे, भले ही उन्हें अभी तक न्यायालय द्वारा दोषी नहीं ठहराया गया हो।

लोकतंत्र के लिये अच्छा नहीं:

मीडिया ने अपनी ज़िम्मेदारी का उल्लंघन करते हुए लोकतंत्र को पीछे ले जाने का काम किया है तथा लोगों को प्रभावित किया है और व्यवस्था को क्षति पहुँचाई है।

अभी भी प्रिंट मीडिया में कुछ हद तक जवाबदेही है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की जवाबदेही शून्य है।

नफरत और हिंसा भड़काना:

पेड न्यूज़ और फेक न्यूज़ जनता की धारणा में हेरफेर कर सकते हैं तथा समाज में विभिन्न समुदायों के बीच नफरत, हिंसा एवं वैमनस्य पैदा कर सकते हैं।

वस्तुनिष्ठ पत्रकारिता का अभाव समाज में सत्य की झूठी प्रस्तुति की ओर ले जाता है जो लोगों की धारणा और राय को प्रभावित करता है।

एकांतता का अधिकार:

वे हमारी निजता पर आक्रमण करते हैं जो अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत एकांतता के अधिकार के उल्लंघन का कारण बनता है।

आगे की राह

मीडिया को केवल पत्रकारिता के कार्यों में संलग्न होना चाहिये और अदालत की एक विशेष एजेंसी के रूप में कार्य नहीं करना चाहिये।

यद्यपि मीडिया एक प्रहरी के रूप में कार्य करता है और हमें एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ लोग समाज में होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकते है।

मीडिया को यह समझना चाहिये कि उसकी भूमिका उन मुद्दों को उठाना है जिनका जनता सामना कर रही है। मीडिया उनकी आवाज़ बन सकता है जो अपनी बात नहीं रख सकते। मीडिया को फैसला नहीं सुनाना चाहिये क्योंकि भारत में इस उद्देश्य के लिये न्यायपालिका है।

 

 

मीडिया को अदालत के मामलों में दखल न देकर अपनी नैतिकता, सामाजिक ज़िम्मेदारी और विश्वसनीयता को बनाए रखना चाहिये।

 

स्वदेश दर्शन योजना

 

हाल ही में पर्यटन मंत्रालय ने अपनी स्वदेश दर्शन योजना को स्वदेश दर्शन 2.0 (SD2.0) के रूप में संशोधित किया है, जिसका उद्देश्य गंतव्यों पर स्थायी और ज़िम्मेदार बुनियादी ढाँचा विकसित करना है।

 

स्वदेश दर्शन योजना:

परिचय:

इसे वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू किया गया था। इस योजना के तहत पंद्रह विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है- बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, डेज़र्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज सर्किट, हिमालयन सर्किट, कृष्णा सर्किट, नॉर्थ ईस्ट सर्किट, रामायण सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, जनजातीय सर्किट, वन्यजीव सर्किट।

यह केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित है और केंद्र एवं राज्य सरकारों की अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण हेतु तथा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और कॉर्पोरेट क्षेत्र की कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) पहल के लिये उपलब्ध स्वैच्छिक वित्तपोषण का लाभ उठाने के प्रयास किये जाते हैं।

महत्त्व:

स्वदेश दर्शन और PRASAD (तीर्थयात्रा कायाकल्प एवं आध्यात्मिक, विरासत संवर्द्धन अभियान) योजनाओं के तहत पर्यटन मंत्रालय पर्यटन के बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

इस योजना के तहत परियोजनाओं निधियों की उपलब्धता, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने, योजना दिशा-निर्देशों का पालन करने और पूर्व में जारी धन के उपयोग के अधीन स्वीकृत किया जाता है।

उद्देश्य:

पर्यटन को आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करना।

नियोजित और प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन क्षमता वाले सर्किट विकसित करना।

पहचान किये गए क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिये देश के सांस्कृतिक और विरासत मूल्य को बढ़ावा देना।

सर्किट/गंतव्यों में विश्व स्तरीय स्थायी बुनियादी ढाँचे को विकसित करके पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाना।

समुदाय आधारित विकास और गरीब समर्थक पर्यटन दृष्टिकोण का पालन करना।

आय के बढ़ते स्रोतों, बेहतर जीवन स्तर और क्षेत्र के समग्र विकास के संदर्भ में स्थानीय समुदायों में पर्यटन के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाना।

उपलब्ध बुनियादी ढाँचे, राष्ट्रीय संस्कृति और देश भर में प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट स्थलों के संदर्भ में विषय-आधारित सर्किटों के विकास की संभावनाओं एवं लाभों का पूरा उपयोग करना।

आगंतुक अनुभव/संतुष्टि को बढ़ाने के लिये पर्यटक सुविधा सेवाओं का विकास करना।

स्वदेश दर्शन योजना 2.0:

‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र के साथ स्वदेश दर्शन 2.0 नामक नई योजना का उद्देश्य पर्यटन गंतव्य के रूप में भारत की पूरी क्षमता को साकार कर “आत्मनिर्भर भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करना है।

स्वदेश दर्शन 2.0 एक वृद्धिशील परिवर्तन नहीं है, बल्कि स्थायी और ज़िम्मेदार पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिये स्वदेश दर्शन योजना को एक समग्र मिशन के रूप में विकसित करने हेतु पीढ़ीगत बदलाव है।

यह पर्यटन स्थलों के सामान्य और विषय-विशिष्ट विकास के लिये बेंचमार्क एवं मानकों के विकास को प्रोत्साहित करेगी ताकि राज्य परियोजनाओं की योजना तैयार करने एवं विकास करते समय बेंचमार्क तथा मानकों का पालन किया जा सके।

योजना के तहत पर्यटन क्षेत्र के लिये निम्नलिखित प्रमुख विषयों की पहचान की गई है।

संस्कृति और विरासत

साहसिक पर्यटन

पारिस्थितिकी पर्यटन

कल्याण पर्यटन

एमआईसीई पर्यटन

ग्रामीण पर्यटन

तटीय पर्यटन

परिभ्रमण- महासागर और अंतर्देशीय।

 

36वाँ राष्ट्रीय खेल

 

भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने 36वें राष्ट्रीय खेल 2022 को संयुक्त रूप से आयोजित करने के लिये 22 जुलाई को गुजरात ओलंपिक संघ (GOA) और गुजरात राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये। 36वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन 27 सितंबर से 10 अक्तूबर, 2022 तक गुजरात में किया जाएगा, जिसमें सभी 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश शामिल होंगे। इसमें कुल 36 खेल शामिल हैं जो राष्ट्रीय खेलों के इतिहास में सर्वाधिक हैं। इन खेलों के लिये ध्येय वाक्य (टैगलाइन) ‘सेलिब्रेटिंग यूनिटी थ्रू स्पोर्ट्स’ है। इस साल योगासन और मल्लखंभ को खेलों की सूची में जोड़ा गया है। इस प्रकार यह भारत में स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देगा। उद्घाटन समारोह नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा। राष्ट्रीय खेल 2022 गुजरात के 6 शहरों गांधीनगर, सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा और भावनगर में आयोजित किये जाएंगे। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के अवसर पर 36वें राष्ट्रीय खेल 2022 के लिये एक लोगो भी लॉन्च किया गया। लोगो में गुजरात के दो स्थायी और गौरवपूर्ण प्रतीकों- सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और गिर एशियाई शेर को दर्शााया गया है। राष्ट्रीय खेलों का अंतिम संस्करण वर्ष 2015 में केरल में आयोजित किया गया था। राष्ट्रीय खेलों का 2022 संस्करण सात वर्ष के अंतराल पर आयोजित किया जाएगा।

 

डॉ.  सुशोभन बंद्योपाध्याय

 

गरीबों के मसीहा और एक रुपए वाले डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री डॉ. सुशोभन बंद्योपाध्याय का 26 जुलाई, 2022 को कोलकाता में निधन हो गया। डॉ. बंद्योपाध्याय पिछले कुछ महीनों से किडनी की बीमारी से ज़ूझ रहे थे। वे 84 वर्ष के थे। डॉ. सुशोभन पिछले 57 वर्षों से पश्चिम बंगाल के बोलपुर में एक रुपए फीस लेकर गरीबों का इलाज कर रहे थे। वर्ष 2020 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. सबसे अधिक रोगियों का इलाज करने के लिये इसी वर्ष उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था। वे बोलपुर से पूर्व विधायक भी रह चुके हैं।

 

झारखंड पर्यटन नीति

 

हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य में पर्यटन क्षेत्र को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से ‘झारखंड पर्यटन नीति’ का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य झारखंड में पर्यटन क्षेत्र को नवीनीकृत कर बढ़ावा देना है। इस  नीति के अंतर्गत नागरिक सुविधाएँ प्रदान करने और पारसनाथ, देवघर, इटखोरी तथा मधुबन सहित कई स्थानों के सौंदर्यीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अलावा नीति के तहत झारखंड में धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से धार्मिक पर्यटक इकाई स्थापित की जाएगी। साथ ही खाद्य उत्सव एवं अंतर-राज्यीय संस्कृति विनिमय कार्यक्रम और सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, इस कार्यक्रम में जीवंत व विविध संस्कृतियों का प्रदर्शन, वार्षिक साहसिक खेलों का आयोजन तथा खेलकूद प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी।