बच्चों पर हीटवेव का प्रभाव: UNICEF
हाल ही में UNICEF (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) ने ‘कोल्डेस्ट ईयर ऑफ द रेस्ट ऑफ देयर लाइव्स- प्रोटेक्टिंग चिल्ड्रेन फ्रॉम द एस्केलेटिंग इम्पैक्ट ऑफ हीटवेव’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2050 तक दुनिया भर में लगभग सभी बच्चे बार-बार अधिक गंभीर हीटवेव से प्रभावित होंगे।
UNICEF संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का एक विशेष कार्यक्रम है जो बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और कल्याण में सुधार के लिये किये जाने वाले राष्ट्रीय प्रयासों की सहायता हेतु समर्पित है।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के निष्कर्ष:
वर्तमान परिदृश्य:
लगभग 559 मिलियन बच्चे उच्च हीटवेव आवृत्ति के दायरे में हैं और लगभग 624 मिलियन बच्चे अन्य तीन उच्च हीट उपागमों- उच्च हीटवेव अवधि, उच्च हीटवेव गंभीरता एवं अत्यधिक उच्च तापमान में से एक के दायरे में हैं।
वर्ष 2020 के अनुसार, चार में से एक बच्चा ऐसे क्षेत्रों में रहता है जहाँ औसत हीटवेव 4.7 दिन या उससे अधिक समय तक रहती है।
यह प्रतिशत वर्ष 2050 तक कम उत्सर्जन वाले परिदृश्य में भी चार में से तीन बच्चों तक विस्तारित हो जाएगा।
दक्षिणी, पश्चिमी और दक्षिण-पूर्वी एशिया, पूर्वी एवं दक्षिणी यूरोप तथा उत्तरी अफ्रीका के बच्चे लंबी अवधि की हीटवेव का सामना करते हैं।
भविष्य के प्रभाव:
उच्च हीटवेव के संपर्क में आने वाले बच्चों की संख्या वर्ष 2050 तक चार गुना बढ़कर दो बिलियन से अधिक हो जाएगी, जो वर्ष 2020 की तुलना में 24% अधिक है।
यह लगभग 1.5 बिलियन बच्चों की वृद्धि के बराबर है।
वर्ष 2050 में अनुमानित 1.7 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग के साथ आंशिक रुप से पृथ्वी पर लगभग हर बच्चा कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन परिदृश्य के तहत भी गंभीर हीटवेव का सामना करेगा।
केवल दक्षिणी अमेरिका, मध्य अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया/Australasia और एशिया के कुछ क्षेत्र, जो लंबी अवधि की हीटवेव का सामना नहीं करते हैं, 2.4 डिग्री वार्मिंग पर 94% बच्चे इससे प्रभावित होंगे।
बच्चों की उच्च संवेदनशीलता:
लंबी अवधि वाली हीटवेव बच्चों के लिये अधिक जोखिम पैदा करती हैं क्योंकि बच्चे खेल और अन्य गतिविधियों में वयस्कों की तुलना में अधिक समय बाहर बिताते हैं जो उन्हें गर्मी से होने वाले जोखिमों में डालते हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
बच्चों और किशोरों में पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) तथा अवसाद जैसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में वृद्धि, उच्च तापमान से संबंधित हैं।
अत्यधिक गर्मी के कारण मुख्य रूप से बच्चों की शिक्षा और भविष्य की आजीविका प्रभावित होगी।
स्वास्थ्य संबंधी हीटवेव जोखिमों में शामिल हैं- हीट स्ट्रोक, हीट स्ट्रेस, एलर्जी, z, अस्थमा, मच्छर जनित रोग, हृदय रोग, अल्पपोषण और दस्त की शिकायत।
बच्चों की सुरक्षा के लिये खतरा:
जैसे-जैसे चरागाहों और घरेलू आय में कमी आती जाती है, समुदायों को भोजन एवं पानी की आपूर्ति की तलाश में प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये मजबूर होना पड़ता है। प्रवास, विस्थापन तथा संघर्ष के परिणामस्वरूप बच्चों को शारीरिक नुकसान व अनेक जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर ने रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लाभों और ज़ोखिमों को रेखांकित किया।
रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण:
रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत सीमा पार लेन-देन में स्थानीय मुद्रा के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है।
इसमें आयात और निर्यात व्यापार के लिये रुपए को बढ़ावा देना और अन्य चालू खाता लेन-देन के साथ-साथ पूंजी खाता लेन-देन में इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना शामिल है।
जहाँ तक रुपए का सवाल है, यह पूंजी खाते में आंशिक रूप से जबकि चालू खाते में पूरी तरह से परिवर्तनीय है।
चालू और पूंजी खाता भुगतान संतुलन के दो घटक हैं। पूंजी खाते में ऋण एवं निवेश के माध्यम से पूंजी की सीमा पार आवाजाही होती है तथा चालू खाता मुख्य रूप से वस्तुओं व सेवाओं के आयात और निर्यात से संबंधित होता है।
रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण की आवश्यकता क्यों?
डॉलर का वैश्विक विदेशी मुद्रा बाज़ार के कारोबार में 88.3% हिस्सा है, इसके बाद यूरो, जापानी येन और पाउंड स्टर्लिंग का स्थान आता है; चूँकि रुपए की हिस्सेदारी मात्र 1.7% है, अतः यह स्पष्ट है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा को बढ़ावा देने के लिये इस दिशा में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
डॉलर, जो कि एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा है, ‘अत्यधिक’ विशेषाधिकारों के अंतर्गत भुगतान संतुलन संकट से प्रतिरक्षा प्रदान करता है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने विदेशी घाटे को अपनी मुद्रा के साथ कवर कर सकता है।
रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के विभिन्न लाभ:
सीमा पार लेनदेन में रुपए का उपयोग भारतीय व्यापार के लिये मुद्रा जोखिम को कम करता है। मुद्रा की अस्थिरता से सुरक्षा न केवल व्यापार की लागत को कम करती है, बल्कि यह व्यापार के बेहतर विकास को भी सक्षम बनाती है, जिससे भारतीय व्यापार के विश्व स्तर पर बढ़ने की संभावना में सुधार होता है।
यह विदेशी मुद्रा भंडार रखने की आवश्यकता को कम करता है। जबकि भंडार विनिमय दर की अस्थिरता को प्रबंधित करने और बाहरी स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है, यह अर्थव्यवस्था पर एक लागत आरोपित करता हैं।
विदेशी मुद्रा पर निर्भरता को कम करने से भारत बाहरी जोखिमों के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में मौद्रिक नीति सख्त होने और डॉलर को मज़बूत करने के चरणों के दौरान, घरेलू व्यापार की अत्यधिक विदेशी मुद्रा देनदारियों के परिणामस्वरूप वास्तविक घरेलू अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है। मुद्रा जोखिम के कम होने से पूंजी प्रवाह के उत्क्रमण को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
जैसे-जैसे रुपए का उपयोग महत्त्वपूर्ण होता जाएगा, भारतीय व्यापार की सौदेबाज़ी की शक्ति भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने, भारत के वैश्विक कद और सम्मान को बढ़ाने में मदद करेगी।
रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण में चुनौतियाँ:
भारत एक पूंजी की कमी वाला देश है इसलिये इसके विकास हेतु विदेशी पूंजी की आवश्यकता है। यदि इसके व्यापार का एक बड़ा हिस्सा रुपए में होगा तो अनिवासियों के पास भारतीय रुपए की शेष राशि होगी जिसका उपयोग भारतीय संपत्ति हासिल करने के लिये किया जाएगा। ऐसी वित्तीय आस्तियों की बड़ी होल्डिंग बाहरी जोखिमों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ा सकती है, जिसके प्रबंधन के लिये अधिक प्रभावी नीतिगत साधनों की आवश्यकता होगी।
बाहरी लेन-देन में परिवर्तनीय मुद्राओं की कम भूमिका से आरक्षित निधि में कमी आ सकती है। हालाँकि भंडार की आवश्यकता भी उस सीमा तक कम हो जाएगी जिस सीमा तक व्यापार घाटे को रुपए में वित्तपोषित किया जाता है।
रुपए की अनिवासी होल्डिंग घरेलू वित्तीय बाज़ारों में बाहरी प्रोत्साहन के पास-थ्रू को बढ़ा सकती है, जिससे अस्थिरता बढ़ सकती है। उदाहरण के लिये वैश्विक रूप से कम जोखिम अनिवासियों को अपनी रुपए होल्डिंग्स को परिवर्तित करने और भारत से बाहर भेजने के लिये प्रेरित कर सकता है।
रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये उठाए गए कदम:
जुलाई 2022 में RBI ने रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन प्रणाली शुरु की।
रुपए में बाह्य वाणिज्यिक उधार की सुविधा प्रदान करना (विशेषकर मसाला बांड के संदर्भ में)।
एशियाई क्लीयरिंग यूनियन, सेटलमेंट के लिये घरेलू मुद्राओं का उपयोग करने की एक योजना के लिये प्रयासरत है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें द्विपक्षीय या व्यापारिक संदर्भ में प्रत्येक देश के आयातकों को घरेलू मुद्रा में भुगतान करने का विकल्प होता है, सभी देशों के इसके पक्ष में होने की संभावना के चलते यह महत्त्वपूर्ण है।
आगे की राह
रुपए में भुगतान की हालिया पहल एक अलग वैश्विक आवश्यकता और व्यवस्था से संबंधित है लेकिन वास्तविक अंतर्राष्ट्रीयकरण तथा विदेशों में रुपए के व्यापक उपयोग के लिये केवल रुपए में व्यापार समझौता करना पर्याप्त नहीं होगा। भारत व विदेशी बाजारों दोनों में विभिन्न वित्तीय साधनों के संदर्भ में रुपए के और उदारीकृत भुगतान एवं निपटान को अपनाना अधिक महत्त्वपूर्ण है।
रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये एक कुशल स्वैप बाज़ार और एक मज़बूत विदेशी मुद्रा बाज़ार की भी आवश्यकता हो सकती है।
समग्र आर्थिक बुनियादी आयामों में सुधार और वित्तीय क्षेत्र की मज़बूती के साथ सॉवरेन रेटिंग में वृद्धि से भी रुपए की स्वीकार्यता को मज़बूती मिलेगी जिससे इस मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय सेना का 76वाँ इन्फैंट्री दिवस
भारतीय सेना की सबसे बड़ी युद्धक शाखा इन्फैंट्री के योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिये प्रतिवर्ष 27 अक्तूबर को इन्फैंट्री दिवस मनाया जाता है। राष्ट्र के लिये इस दिवस का विशेष महत्त्व है क्योंकि वर्ष 1947 में आज ही के दिन भारतीय सेना के इन्फैंट्री सैनिकों (पैदल सैनिकों) का पहला सैन्य दस्ता श्रीनगर के हवाई अड्डे पर उतरा था। इन इन्फैंट्री सैनिकों ने आक्रमणकारियों को श्रीनगर के बाहरी इलाके से वापस खदेड़ दिया था और पाकिस्तान द्वारा समर्थित कबायली आक्रमण से जम्मू-कश्मीर राज्य की रक्षा की थी। वर्ष 2022 के इन्फैंट्री दिवस समारोह में राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले इन्फैंट्री के नायकों को सम्मान प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर 27 अक्तूबर को एक ‘पुष्पांजलि’ समारोह का आयोजन हुआ। इन्फैंट्री के सैनिकों के लिये दिये गए अपने संदेश में इन्फैंट्री के महानिदेशक ने सैनिकों से बहादुरी, बलिदान और कर्तव्य के प्रति निस्वार्थ समर्पण की भावना के साथ अपने आप को समर्पित करने एवं राष्ट्र की एकता तथा संप्रभुता की रक्षा करने के संकल्प में अजय बने रहने का आह्वान किया।
अंतर्राष्ट्रीय एनीमेशन दिवस
प्रत्येक वर्ष विश्व स्तर पर 28 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय एनीमेशन दिवस (International Animation Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस एनीमेशन की कला का उत्सव मनाने एवं एनिमेटेड फिल्मों सहित कलाकारों, वैज्ञानिकों और तकनीशियनों के एनिमेटेड आर्ट को पहचान प्रदान करने के लिये मनाया जाता है। वर्ष 2002 में अंतर्राष्ट्रीय एनिमेटेड फिल्म एसोसिएशन (ASIFA) जो UNESCO का सदस्य है, द्वारा अंतर्राष्ट्रीय एनीमेशन दिवस (IAD) की घोषणा की गई थी। यह दिन पेरिस में 28 अक्तूबर, 1892 में एमिल रेनॉड के थियेटर ऑप्टीक के पहले सार्वजनिक प्रदर्शन की याद में मनाया जाता है।अंतर्राष्ट्रीय एनिमेटेड फिल्म एसोसिएशन (ASIFA) एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1960 में एनेसी, फ्राँस में कनाडा के प्रसिद्ध एनिमेटर नॉर्मन मैकलारेन द्वारा की गई थी।