असंगठित श्रमिकों हेतु सामाजिक सुरक्षा
चर्चा में क्यों?
श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने राज्यसभा को सूचित किया है कि 28 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है और सरकार असंगठित श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ तैयार कर रही है।
यह भी बताया गया है कि भारत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दोहराव से बचने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौतों (SSAs) पर बातचीत कर रहा है।
सामाजिक सुरक्षा समझौत (SSA):
SSA भारत और बाह्य देश के बीच एक द्विपक्षीय समझौता है जिसे सीमा पार श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिये बनाया गया है।
यह समझौता ‘दोहरे कवरेज’ से बचने का प्रावधान करता है और सामाजिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से दोनों देशों के श्रमिकों के साथ व्यवहार की समानता सुनिश्चित करता है।
अलगाव या दोहरे कवरेज के उन्मूलन के तहत किसी भी SSA देश में रोज़गार हेतु जाने वाले कर्मचारियों को एक निर्दिष्ट अवधि (प्रत्येक SSA के लिये विशिष्ट) के लिये उस देश में सामाजिक सुरक्षा योगदान प्रदान करने से छूट दी गई है यदि वे अपने मूल देश में सामाजिक सुरक्षा योगदान करना जारी रखते हैं।
भारत ने बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, लक्जमबर्ग के ग्रैंड डची, फ्राँस, डेनमार्क, कोरिया, नीदरलैंड, हंगरी, फिनलैंड, स्वीडन, चेक गणराज्य, नॉर्वे, ऑस्ट्रिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान और पुर्तगाल के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते (SSA) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
सामाजिक सुरक्षा:
परिचय:
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा एक व्यापक दृष्टिकोण है जिसे वंचितों को लाभ पहुँचाने, व्यक्ति को एक न्यूनतम आय का आश्वासन देने और किसी भी अनिश्चितता से व्यक्ति की रक्षा करने के लिये बनाया गया है।
प्रावधान:
भोजन, कपड़े, आवास और चिकित्सा देखभाल एवं आवश्यक सामाजिक सेवाओं सहित स्वास्थ्य तथा कल्याण के लिये पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार।
किसी भी व्यक्ति के नियंत्रण से परे परिस्थितियों में बेरोज़गारी, बीमारी, विकलांगता, विधवापन, वृद्धावस्था या आजीविका की कमी की स्थिति में आय के अधिकार की सुरक्षा।
सामाजिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता:
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अनौपचारिक श्रमिकों को उनके रोज़गार की अल्पकालिक प्रवृत्ति और औपचारिक कर्मचारी-नियोक्ता संबंधों में कमी के कारण कोविड-19 महामारी के कारण सबसे अधिक हानि हुई है।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 90% श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में थे, जो कि 465 मिलियन श्रमिकों में से 419 मिलियन हैं।
इसके अलावा भारत में कोविड-19 संकट पहले से मौजूद उच्च और बढ़ती बेरोज़गारी की पृष्ठभूमि में आया है।
असंगठित श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की नौकरियों के नुकसान, बढ़ती बेरोज़गारी, ऋणग्रस्तता, पोषण, स्वास्थ्य व शिक्षा पर परिणामी प्रभाव एक लंबी अवधि तक अपूर्णीय क्षति पहुँचाने की क्षमता रखते हैं।
भारत विनिर्माण और सेवाओं के क्षेत्र में कार्यबल का स्थिर अनौपचारिकीकरण देख रहा है, जो गिग इकॉनमी के विकास को रेखांकित करता है, जबकि इस अनौपचारिकीकरण ने अतिरिक्त आय-सृजन के अवसर प्रदान किये हैं, अनौपचारिकता ने अनिश्चितता वाले रोज़गार को बढ़ावा दिया है।
अनौपचारिक क्षेत्र के आधे से भी कम श्रमिकों की पहुँच जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन जैसे किसी भी प्रकार के जोखिम संरक्षण तक है।
भारत में अनौपचारिक श्रमिकों की वर्तमान स्थिति:
ई-श्रम पोर्टल पर असंगठित क्षेत्र के पंजीकृत 27.69 करोड़ श्रमिकों में से 94% से अधिक की मासिक आय 10,000 रुपए या उससे कम है और नामांकित कार्यबल का 74% से अधिक अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित है।
सामान्य श्रेणी के श्रमिकों का अनुपात 25.56% है।
आँकड़ों से पता चला है कि पंजीकृत असंगठित श्रमिकों में से 94.11% की मासिक आय 10,000 रुपए या उससे कम है, जबकि 4.36% की मासिक आय 10,001 रुपए और 15,000 रुपए के बीच है।
असंगठित श्रमिकों से संबंधित पहल:
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY):
यह एक वर्षीय जीवन बीमा योजना है जो प्रतिवर्ष नवीनीकृत होती है और किसी भी कारण से हुई मौत के लिये बीमा कवरेज प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY):
यह एक वर्षीय दुर्घटना बीमा योजना है जो प्रतिवर्ष नवीनीकृत होती है और दुर्घटना के कारण मृत्यु या विकलांगता के लिये बीमा कवरेज प्रदान करती है।
आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY):
PMJAY विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा/आश्वासन योजना है जो पूर्णतः सरकार द्वारा वित्तपोषित है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मान–धन (PM-SYM):
PM-SYM श्रम और रोज़गार मंत्रालय द्वारा प्रशासित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है एवं भारतीय जीवन बीमा निगम तथा सामुदायिक सेवा केंद्रों (CSC) के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है।
अटल पेंशन योजना:
यह योजना मई 2015 में सभी भारतीयों, विशेष रूप से गरीबों, वंचितों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP):
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रस्ताव किया है कि NSAP के तहत बुजुर्ग, गरीब, विकलांग और विधवाओं की मासिक पेंशन मौजूदा 200 रुपए से बढ़ाकर 800 रुपए की जाए।
गरीब कल्याण रोज़गार अभियान:
यह योजना वापस लौटे प्रवासी कामगारों और ग्रामीण नागरिकों को सशक्त बनाती है और उन्हें आजीविका के अवसर प्रदान करती है जो कोविड-19 प्रेरित लॉकडाउन के कारण अपने गृह राज्यों में लौट आए हैं।
आगे की राह
जबकि इन योजनाओं द्वारा दिये जाने वाले अतिरिक्त लाभों से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को मदद मिलेगी, सामाजिक सुरक्षा संहिता में संगठित क्षेत्र के श्रमिकों की तरह असंगठित श्रमिकों हेतु न्यूनतम सतही-स्तरीय प्रावधानों को औपचारिक और मानकीकृत करने की आवश्यकता है।
श्रम मंत्रालय को PLFS को समय पर पूरा करने का मुद्दा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के समक्ष उठाना चाहिये।
एक व्यापक योजना और रोडमैप की आवश्यकता है ताकि महामारी के कारण रोज़गार की बिगड़ती स्थिति और संगठित क्षेत्र में रोज़गार बाज़ार में बढ़ती असमानताओं को दूर किया जा सके।
असंगठित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने की आवश्यकता है।
इसके अलावा इस क्षेत्र को औपचारिक रूप देना इसकी उत्पादकता बढ़ाना, मौजूदा आजीविका को मज़बूत करने, नए अवसर पैदा करने और सामाजिक सुरक्षा उपायों को मज़बूत करने से कोविड-19 के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।
सौभाग्य
जम्मू-कश्मीर में सौभाग्य योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में बिजली पहुंचाई गई। इसके अलावा दूरदराज़ और दुर्गम क्षेत्रों के उन ग्रामीण घरों में जहाँ बिजली उपलब्ध नहीं है, सोलर फोटो वोल्टाइक आधारित स्टैंडअलोन सिस्टम प्रदान किया है। इसके तहत अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया जा चुका है। आज़ादी के 74 साल बाद पहली बार उधमपुर ज़िले के ग्राम सद्दाल और डोडा ज़िले के गनौरी-ताँता में ग्रामीण घरों में बिजली पहुंचाई गई है। बिजली कनेक्शनों को जारी करने के लिये ‘ग्राम ज्योतिदूत’, ‘ऊर्जा विस्तार’ जैसे मोबाइल एप तैयार किये गए हैं। सभी ज़िलों में विद्युत मंत्रालय की ‘सौभाग्य रथ’ योजना भी चलाई जा रही है। केंद्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य एक निश्चित समयावधि में देश के सभी घरों तक बिजली पहुँचाना था। इस योजना को सितंबर 2017 में आरंभ किया गया था और इसे दिसंबर 2018 तक पूरा किया जाना था, लेकिन बाद में इसकी समयावधि को बढ़ा दिया गया है।
BSNL और BBNL का विलय
हाल ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) के भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के साथ विलय की ने मंज़ूरी दी है। BSNL की संपत्ति का स्वामित्व सरकार के पास होगा। BSNL के पास वर्तमान में 6.83 लाख किलोमीटर से अधिक का ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क उपलब्ध है। यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) का उपयोग करते हुए भारत की 1.85 लाख ग्राम पंचायतों में 67 लाख किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। हालाँकि BSNL के साथ BBNL के विलय की घोषणा पहली बार अप्रैल 2022 में की गई थी। BBNL विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) है, जिसे भारतनेट परियोजना को लागू करने हेतु स्थापित किया गया था। BSNL दूरसंचार विभाग के स्वामित्व में काम करता है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसकी स्थापना 1 अक्तूबर, 2000 को की गई थी। यह देश में सबसे बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली वायरलेस दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी है। भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड जिसे भारतनेट के नाम से भी जाना जाता है, सरकार के स्वामित्व में है जो ब्रॉडबैंड अवसंरचना प्रदान करती है। इसे संचार मंत्रालय के अंतर्गत दूरसंचार विभाग द्वारा स्थापित किया गया है।
डॉ. सी. नारायण रेड्डी राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार
भारत के उपराष्ट्रपति ने हैदराबाद में प्रख्यात उड़िया लेखिका डॉ. प्रतिभा रे को डॉ. सी. नारायण रेड्डी राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार प्रदान किया। उड़िया भाषा की चर्चित लेखिका डॉ. रे के उपन्यास और लघु कथाओं को काफी सराहा गया है तथा उनमें महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उठाया गया है। उन्हें वर्ष 2011 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, वर्ष 2007 में पद्मश्री एवं वर्ष 2022 में पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने तेलुगू भाषा एवं साहित्य में डॉ. सी. नारायण रेड्डी के ‘अमूल्य योगदान’ को याद करते हुए कहा कि उनके लेखन ने बड़ी तादाद में तेलुगू लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। डॉ. रेड्डी के महाकाव्य ‘विश्वम्भरा’ का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह मनुष्य और प्रकृति के बीच के जटिल संबंधों का खूबसूरती से वर्णन करता है। इसके लिये उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। कार्यक्रम में तेलंगाना सरकार में कृषि मंत्री, पुरस्कार विजेता डॉ. रे, प्रख्यात तेलुगू लेखिका वोल्गा (ललिता कुमारी), डॉ. सी. नारायण रेड्डी के परिवार के सदस्य एवं अन्य लोगों ने भाग लिया।