UDISE प्लस रिपोर्ट
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने स्कूली शिक्षा पर संयुक्त ज़िला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (UDISE Plus) रिपोर्ट, 2021-22 जारी की है।
शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 के लिये प्रदर्शन श्रेणी सूचकांक (PGI) भी जारी किया है।
UDISE Plus रिपोर्ट:
यह स्कूली छात्रों के नामांकन और स्कूल छोड़ने की दर, स्कूलों में शिक्षकों की संख्या एवं शौचालय, भवन तथा बिजली जैसी अन्य बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने वाला एक समग्र अध्ययन है।
इसे वर्ष 2018-2019 में डेटा प्रविष्टि में तेज़ी लाने, त्रुटियों को कम करने, डेटा गुणवत्ता में सुधार करने और डेटा सत्यापन को आसान बनाने हेतु शुरु किया गया था।
यह स्कूल और उसके संसाधनों से संबंधित कारकों के विषय में विवरण एकत्र करने संबंधी एक एप्लीकेशन है।
यह UDISE का एक अद्यतित और उन्नत संस्करण है, जिसे शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012-13 में शुरू किया गया था।
UDISE Plus रिपोर्ट, 2021-22 के निष्कर्ष:
नामांकन में गिरावट:
प्री–प्राइमरी स्तर पर:
वर्ष 2021-2022 में कुल 94.95 लाख छात्रों ने प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश लिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% की गिरावट को दर्शाता है (जब इन कक्षाओं में 1.06 करोड़ बच्चों ने प्रवेश लिया था)।
हालाँकि वर्ष 2020-2021 में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में इससे पूर्व (1.35 करोड़) की तुलना में 21% की गिरावट दर्ज की गई थी क्योंकि महामारी व लॉकडाउन के परिणामस्वरूप स्कूल बंद हो गए थे तथा कक्षाएँ ऑनलाइन चल रही थीं।
प्राथमिक और उच्च माध्यमिक स्तर:
प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 5) में नामांकन में भी पहली बार गिरावट दर्ज की गई है, जो वर्ष 2020-2021 के 12.20 लाख से गिरकर वर्ष 2021-2022 में 12.18 लाख पर पहुँच गया है।
हालाँकि प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर पर छात्रों की कुल संख्या 19 लाख बढ़कर 25.57 करोड़ हो गई है।
स्कूलों की संख्या में गिरावट:
वर्ष 2020-21 के 15.09 लाख की तुलना में वर्ष 2021-22 में स्कूलों की कुल संख्या 14.89 लाख दर्ज की गई।
यह गिरावट मुख्य रूप से निजी और अन्य प्रबंधन स्कूलों के बंद होने तथा विभिन्न राज्यों द्वारा स्कूलों के समूह/क्लस्टरिंग के कारण दर्ज की गई।
वर्ष 2020-2021 में शिक्षकों की संख्या 96.96 लाख थी जो वर्ष 2021-2022 में 1.89 लाख की कमी के साथ 95.07 लाख दर्ज की गई गई।
कंप्यूटर सुविधाएँ और इंटरनेट तक पहुँच:
इसके अनुसार 44.75% स्कूलों में कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध होने के साथ केवल 33.9% स्कूलों की ही इंटरनेट तक पहुँच थी।
हालाँकि, पूर्व-कोविड की तुलना में इसमें सुधार दर्ज किया गया, जब केवल 38.5% स्कूलों में कंप्यूटर थे और 22.3% स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा थी।
सकल नामांकन अनुपात (GER):
यह शिक्षा के विशिष्ट स्तर में नामांकन की तुलना संबंधित आयु वर्ग की आबादी से करता ह1ै।
समग्र सुधार:
प्राथमिक कक्षाओं के लिये GER, वर्ष 2018-2019 के 101.3% से बढ़कर वर्ष 2021-2022 में 104.8% हो गया है।
यह माध्यमिक कक्षाओं के लिये वर्ष 2021-22 में 79.6%, वर्ष 2018-19 में 76.9% और उच्च माध्यमिक स्तर के लिये 50.14% से बढ़कर 57.6% हो गया है।
श्रेणी–वार सुधार:
वर्ष 2020-21 में 4.78 करोड़ की तुलना में वर्ष 2021-22 में अनुसूचित जाति नामांकन की कुल संख्या बढ़कर 4.82 करोड़ हो गई।
वर्ष 2020-21 के 2.49 करोड़ से वर्ष 2021-22 में कुल अनुसूचित जनजाति नामांकन बढ़कर 2.51 करोड़ हो गया।
कुल अन्य पिछड़े छात्र भी वर्ष 2021-22 में बढ़कर 11.48 करोड़ हो गए, जो वर्ष 2020-21 में 11.35 करोड़ थे।
वर्ष 2020-21 के 21.91 लाख की तुलना में वर्ष 2021-22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) का कुल नामांकन 22.67 लाख है।
लैंगिक समानता सूचकांक (GPI):
वर्ष 2021-22 में 12.29 करोड़ से अधिक लड़कियों ने प्राथमिक से उच्च माध्यमिक में दाखिला लिया है, जो वर्ष 2020-21 में लड़कियों के नामांकन की तुलना में 8.19 लाख की वृद्धि दर्शाता है।
GER का लिंग समानता सूचकांक (GPI) स्कूल में लड़कियों के प्रतिनिधित्व को उनकी जनसंख्या के संबंध में संबंधित आयु वर्ग में दर्शाता है।
प्रदर्शन श्रेणी सूचकांक (Performance Grading Index):
परिचय:
यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा प्रणाली का साक्ष्य-आधारित व्यापक विश्लेषण प्रदान करता है।
यह सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुल 1,000 अंकों में से उनके स्कोर के आधार पर 10 ग्रेड्स में वर्गीकृत करता है।
उच्चतम प्राप्त करने योग्य ग्रेड स्तर 1 है, जो कुल 1000 अंकों में से 950 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के लिये है।
निम्नतम ग्रेड स्तर 10 है जो 551 से नीचे के स्कोर के लिये है।
उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन पाँच डोमेन में कुल 70 संकेतकों पर किया जाता है।
पाँच डोमेन- लर्निंग आउटकम, पहुँच, बुनियादी ढाँचे और सुविधाएँ, इक्विटी एवं शासन प्रक्रिया हैं।
यह सूचकांक कई डेटा स्रोतों से लिये गए डेटा पर आधारित है, जिसमें यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) 2020-21, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)-2017, और मिड डे मील पोर्टल शामिल हैं।
उद्देश्य:
साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा देना और सभी के लिये उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु पाठ्यक्रम में सुधार पर ज़ोर देना PGI के मुख्य लक्ष्य हैं।
आशा की जाती है कि PGI राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनकी कमियों को दूर करने में मदद करेगा एवं तदानुसार हस्तक्षेप के लिये क्षेत्रों को प्राथमिकता देगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्कूली शिक्षा प्रणाली हर स्तर पर मज़बूत हो।
प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक के जाँच–परिणाम:
लेवल 2 प्राप्त करने वाले राज्य:
कुल 7 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश जिनमे केरल, पंजाब, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान व आंध्र प्रदेश शामिल हैं, ने वर्ष 2020-21 में लेवल II (स्कोर 901-950) हासिल किया है। जबकि वर्ष 2017-18 में ऐसे राज्यों की संख्या नगण्य थी और वर्ष 2019-20 में 4 ही ऐसे राज्य थे।
गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश अब तक किसी भी राज्य द्वारा उच्चतम स्तर की श्रेणी में प्रवेश करने वाले राज्यों में नए हैं।
लेवल 3 प्राप्त करने वाले राज्य:
दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक और ओडिशा सहित कुल 12 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने 851-900 के बीच स्कोर के साथ स्तर 3 प्राप्त किया।
सबसे बड़ी उपलब्धि:
लद्दाख में वर्ष 2019-2020 के लेवल 10 से वर्ष 2020-2021 में लेवल 4 तक पहुँचने के रूप में सबसे बड़ा सुधार देखा गया है।
देशबंधु चित्तरंजन दास
चित्तरंजन दास का जन्म 5 नवंबर, 1870 को कोलकाता में हुआ था। चित्तरंजन दास को प्यार से ‘देशबंधु’ कहा जाता था। वे महान राष्ट्रवादी तथा प्रसिद्ध विधि-शास्त्री थे। चित्तरंजन दास ने वकालत छोड़कर गांधीजी के असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और पूर्णतया राजनीति में आ गए। भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के सिद्धांतों का प्रचार करते हुए उन्होंने पुरे देश का भ्रमण किया। चित्तरंजन दास वर्ष 1922 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त किये गए लेकिन उन्होंने भारतीय शासन विधान के अंतर्गत संवर्द्धित धारासभाओं से अलग रहना ही उचित समझा। संपन्न परिवार से संबंध रखने वाले चित्तरंजन दास ने अपनी समस्त संपत्ति राष्ट्रीय हित में समर्पित कर दी। कलकत्ता के नागरिकों के हित के लिये उन्हें नौकरियों में अधिक जगह देकर हिन्दू-मुस्लिम मतभेदों को दूर करने का प्रयास किया। भारतीय समाज के लिये समर्पित, अधिक परिश्रमी तथा जेल जीवन की कठिनाइयों से जूझते हुए चित्तरंजन दास बीमार पड़ गए और 16 जून, 1925 को उनका निधन हो गया।
विश्व सुनामी जागरुकता दिवस
विश्व सुनामी जागरुकता दिवस प्रत्येक वर्ष 5 नवंबर को मनाया जाता है। बार-बार सुनामी के कड़वे अनुभवों के कारण जापान को इस दिवस को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में इसने सुनामी की पूर्व चेतावनी, सार्वजनिक कार्रवाई के साथ ही भविष्य के प्रभावों को कम करने के लिये आपदा के बाद बेहतर निर्माण जैसे कुछ क्षेत्रों में प्रमुख रूप से विशेषज्ञता हासिल की है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को सुनामी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये नामित किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब सुनामी की चेतावनी लोगों तक पहुँचे तो समुदाय बिना किसी भय के निर्णायक रूप से कार्य करें। 22 दिसंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 70/23 के माध्यम से 5 नवंबर को विश्व सुनामी जागरुकता दिवस के रूप में नामित किया। वर्ष 2021 में विश्व सुनामी जागरुकता दिवस “सेंडाई सेवन अभियान” लक्ष्य को बढ़ावा देता है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक वर्तमान ढाँचे के कार्यान्वयन के लिये अपने राष्ट्रीय कार्यों के पूरक हेतु पर्याप्त और स्थायी समर्थन के माध्यम से विकासशील देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना है। विश्व सुनामी जागरुकता दिवस 2022 का उद्देश्य शुरुआती चेतावनी प्रणालियों तक पहुँच बढ़ाकर वैश्विक स्तर पर सुनामी के खतरे को कम करना है।