स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर रिपोर्ट, 2022
हाल ही में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर रिपोर्ट का 2022 संस्करण जारी किया गया।
यह फ्लैगशिप रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष तैयार की जाती है।
रिपोर्ट में इस बात पर ध्यान दिया गया है कि कैसे हमारी कृषि-खाद्य प्रणालियों में ऑटोमेशन सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान दे सकता है और नीति निर्माताओं को लाभ को अधिकतम करने तथा जोखिमों को कम करने के बारे में सिफारिशें प्रदान करता है।
प्रमुख बिंदु
रिपोर्ट में विभिन्न तकनीकों का प्रतिनिधित्व करने वाले दुनिया भर के 27 केस स्टडीज़ को शामिल किया गया।
27 सेवा प्रदाताओं में से केवल 10 की स्थिति ही फायदेमंद और आर्थिक रूप से टिकाऊ है।
प्रति 1,000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि के लिये उपलब्ध ट्रैक्टरों की संख्या संबंधी आँकड़ों के अनुसार, क्षेत्रों में मशीनीकरण की दिशा में असमान प्रगति हुई है।
उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ओशिनिया के उच्च आय वाले देश 1960 के दशक तक काफी अधिक यंत्रीकृत थे लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों मेंं मशीनीकरण का स्तर निम्न था।
विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका में इसकी सीमितता के साथ देशों और इनके बीच ऑटोमेशन के प्रसार में व्यापक असमानताएँरही हैं।
उदाहरण के लिये वर्ष 2005 में जापान में प्रति 1,000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि पर 400 से अधिक ट्रैक्टर थे, जबकि घाना में यह आँकड़ा केवल 4 था।
उप-सहारा अफ्रीका में मानव और पशु शक्ति पर कृषि क्षेत्र की अधिक निर्भरता के कारण उत्पादकता सीमित रही है।
सुझाव:
एग्रीकल्चर ऑटोमेशन नीति द्वारा कृषि खाद्य प्रणालियों के टिकाऊ और लचीलेपन को सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
नीति निर्माताओं को श्रम-प्रचुर क्षेत्रों के संदर्भ में ऑटोमेशन पर सब्सिडी देने से बचना चाहिये।
एग्रीकल्चर ऑटोमेशन की वजह से ऐसे क्षेत्रों में बेरोज़गारी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जहाँ ग्रामीण श्रमिक प्रचुर मात्रा में होने के साथ मज़दूरी कम है।
नीति निर्माताओं को ऑटोमेशन को अपनाने के लिये एक सक्षम वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
संक्रमण की स्थिति के दौरान नौकरी खोने के अधिक जोखिम वाले कम कुशल श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिये।
मेक-II परियोजना में शामिल नवीन उत्पाद
हाल ही में भारतीय सेना ने रक्षा खरीद की मेक-II पहल के तहत भारतीय उद्योगों द्वारा विकसित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी हेतु पाँच परियोजना स्वीकृति आदेशों (PSOs) को मंज़ूरी दी है।
मेक-II परियोजना:
परिचय:
मेक-II परियोजनाएँ अनिवार्य रूप से उद्योग द्वारा वित्तपोषित परियोजनाएँ हैं जिनमें प्रोटोटाइप के विकास के लिये भारतीय विक्रेताओं द्वारा डिज़ाइन एवं विकसित किये गए नवीन समाधान शामिल हैं।
कुल 43 परियोजनाओं में से अब तक 22 प्रोटोटाइप विकास के चरण में हैं जिनकी कुल लागत, परियोजना लागत (₹27,000 करोड़) के सापेक्ष 66% (₹18,000 करोड़) है।
परियोजना के तहत शामिल नवीन पहलू:
हाई फ्रीक्वेंसी मैन पैक्ड सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (HFSDR):
ये रेडियो सेट इन्वेंट्री में मौजूदा सीमित डेटा हैंडलिंग क्षमता और पुरानी तकनीक वाले हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो सेटों की जगह लेंगे।
अत्याधुनिक, हल्के वज़न वाले HFSDR सुरक्षा एवं डेटा क्षमता में वृद्धि और बैंड विड्थ के माध्यम से लंबी दूरी का रेडियो संचार प्रदान करेगा।
ड्रोन किल सिस्टम:
ड्रोन किल सिस्टम, निम्न रेडियो क्रॉस सेक्शन ड्रोन के खिलाफ एक हार्ड किल एंटी ड्रोन सिस्टम है।
इसे दिन और रात में सभी प्रकार के क्षेत्रों में काम करने के लिये विकसित किया जा रहा है।
इन्फैंट्री ट्रेनिंग वेपन सिम्युलेटर (IWTS):
IWTS, भारतीय सेना के साथ प्रमुख सेवा के रूप में पहली ट्राई-सर्विस मेक-II परियोजना है।
मीडियम रेंज प्रिसिशन किल सिस्टम (MRPKS):
MRPKS एक बार लॉन्च होने के बाद दो घंटे तक हवा में उड़ान (Loiter) भर सकता है और 40 किमी. की दूरी तक हाई वैल्यू टार्गेट्स को निशाना बना सकता है।
155mm टर्मिनली गाइडेड मुनिशन (TGM):
पूंजी अधिग्रहण की ‘मेक‘ श्रेणी:
पूंजी अधिग्रहण की ‘मेक’ श्रेणी मेक इन इंडिया पहल की आधारशिला है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी के माध्यम से स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करना है।
‘मेक-I’ सरकार द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं को संदर्भित करती है, जबकि ‘मेक-II’ के तहत उद्योग-वित्तपोषित कार्यक्रमों को कवर किया जाता है।
मेक-I को भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ लाइट टैंक और संचार उपकरण जैसे बड़े प्लेटफॉर्म के विकास में शामिल किया गया है।
मेक-II श्रेणी में सैन्य हार्डवेयर उपकरणों का प्रोटोटाइप विकास या आयात प्रतिस्थापन के लिये इसका उन्नयन शामिल है जिसके प्रोटोटाइप विकास उद्देश्यों के लिये कोई सरकारी वित्तपोषण प्रदान नहीं किया जाएगा।
‘मेक’ के तहत एक अन्य उप-श्रेणी ‘मेक-III’ है जो सैन्य हार्डवेयर उपकरणों को कवर करती है जिसे स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित नहीं किया जा सकता है, लेकिन आयात प्रतिस्थापन के लिये देश में निर्मित किया जा सकता है तथा भारतीय कंपनियाँ विदेशी भागीदारों के सहयोग से इनका निर्माण कर सकती हैं।
रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु अन्य पहलें:
रक्षा औद्योगिक गलियारे
आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण
डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज
मसौदा रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्द्धन नीति 2020
रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX)
मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति
राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस
देश में प्रत्येक वर्ष 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) मनाया जाता है ताकि जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिये शुरुआती कैंसर का पता लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। मैरी क्यूरी की जयंती के अवसर पर 7 नवंबर का दिन राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के रुप में चुना गया था। कैंसर की स्थिति में शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। कैंसर भारत सहित दुनिया भर में जीर्ण एवं गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases- NCD) की वजह से होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority- NPPA) ने कैंसर की दवाओं को अधिक किफायती बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
शिशु सुरक्षा दिवस
शिशु सुरक्षा दिवस प्रतिवर्ष 7 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में शिशुओं की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। भारत में शिशु मृत्यु दर कई देशों की तुलना में अधिक है, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की कमी के कारण यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है। विश्व भर में नवजात शिशुओं की उचित सुरक्षा एवं बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण बहुत सारे बच्चों की मृत्यु हो जाती है। विभिन्न देशों की सरकारों ने इस समस्या से निपटने के लिये अनेक योजनाएँ लागू की हैं। भारत में इसी संदर्भ में शिशु के साथ-साथ माँ के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना शुरू की गई है। साथ ही इससे संबंधित अन्य योजनाएँ भी कार्यान्वित की जा रही हैं, जैसे- सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन आदि। इन सभी योजनाओं का मूल उद्देश्य शिशु-मातृ मृत्यु दर में कमी लाना, उनके स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार करना, शिशुओं के लिये नियमित टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराना आदि हैं।
वर्ल्ड ट्रेवल मार्केट प्रदर्शनी
भारत 07 नवंबर, 2022 से लंदन में शुरू हो रहे वर्ल्ड ट्रेवल मार्केट प्रदर्शनी में भाग लेगा। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बडी प्रदर्शनियों में से एक है। इस वर्ष प्रदर्शनी की थीम है- यात्रा का भविष्य अब शुरू होता है। पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, प्रदर्शनी में भारत स्वयं को पर्यटन के लिये पसंदीदा देश के रूप में प्रस्तुत करेगा। तीन दिवसीय इस प्रदर्शनी में भारतीय मंडप में विभिन्न राज्य सरकारें, कई केंद्रीय मंत्रालय, टूर ऑपरेटर सहित कुल 16 हितधारक भाग ले रहे हैं। इसका उद्देश्य चिकित्सा यात्रा, सभी सुविधाओं से सुसज्जित्त रेलगाड़ियों सहित पर्यटन से जुड़ी सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष प्रस्तुत करना है। वर्ष 2019 के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन क्षेत्र का योगदान 5.19 प्रतिशत रहा। भारतीय पर्यटन क्षेत्र लगभग आठ करोड लोगों को रोज़गार के अवसर देता है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के निरंतर प्रयास से पर्यटन उद्योग को कोविड महामारी के असर से उबरने में मदद मिली है और यह धीरे-धीरे कोविड पूर्व स्थिति में लौट रहा है।