एकल वस्तु एवं सेवा कर दर
हाल ही में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत में “एकल वस्तु और सेवा कर (GST) दर” और “छूट-रहित कर व्यवस्था” होनी चाहिये।
सिफारिशें:
एकल वस्तु एवं सेवा कर:
GST की दरें सभी वस्तुओं पर समान होनी चाहिये क्योंकि ‘प्रगतिशील’ दरें अप्रत्यक्ष करों की तुलना में प्रत्यक्ष करों के मामले में अधिक व्यावहारिक होती हैं ।
जब पहली बार GST की घोषणा की गई थी, तो नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) द्वारा अनुमान लगया था कि इससे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1.5% से 2% की वृद्धि होगी।
हालाँकि यह अनुमान इस बात पर निर्भर था कि सभी वस्तुएँ और सेवाएँ GST का हिस्सा होंगी तथा GST में एकरूपता होगी।
विभिन्न GST दरें ‘प्राइम कंट्रोल’ की मानसिकता से प्रेरित होती हैं जिससे GST दरें ‘विशिष्ट’ मानी जाने वाली वस्तुओं के लिये अधिक और बड़े पैमाने पर उपभोग की वस्तुओं के लिये कम रखी जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस पर व्यक्तिगत विचार-विमर्श के साथ मुकदमेबाज़ी के मामले भी सामने आते हैं।
पूर्व में GST के लिये आधिकारिक तौर पर अनुमानित 17% राजस्व-तटस्थ दर के विपरीत वर्तमान औसत दर 5% में वृद्धि होनी चाहिये।
‘छूट रहित‘ प्रत्यक्ष कर व्यवस्था:
सलाहकार परिषद के अध्यक्ष ने इस तर्क के साथ एक छूट रहित प्रत्यक्ष कर व्यवस्था का आह्वान किया कि कर वंचन गैर-कानूनी है लेकिन कर परिहार के तहत छूट संबंधी खंडों का उपयोग करते हुए कर का भार कम करना वैध माना जाता है।
कर में अधिक छूट से कर संबंधी जटिलताओं के मामलों में भी वृद्धि होती है।
कॉर्पोरेट करों और व्यक्तिगत आयकर (PIT) के बीच कृत्रिम अंतर को दूर किये जाने की आवश्यकता है।
बहुत से अनिगमित व्यवसाय व्यक्तिगत आयकर के तहत करों का भुगतान करते हैं।
छूट-रहित प्रत्यक्ष कर प्रणाली का उपयोग कर मतभेदों को दूर करने से प्रशासनिक दबाव में भी कमी आएगी।
GST प्रणाली का वर्तमान ढाँचा:
GST:
वस्तु एवं सेवा कर (GST) घरेलू उपभोग के लिये बेची जाने वाली अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला मूल्यवर्द्धित कर है।
GST का भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन यह वस्तुओं और सेवाओं को बेचने वाले व्यवसायों द्वारा सरकार को प्रेषित किया जाता है।
यह अनिवार्य रूप से एक उपभोग कर है जिसे अंतिम उपभोग बिंदु पर लगाया जाता है।
इसे 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से लाया गया था।
इसमें उत्पाद शुल्क, मूल्यवर्द्धित कर (VAT), सेवा कर, विलासिता कर आदि जैसे अप्रत्यक्ष करों को समाहित किया गया है।
मौजूदा कर संरचना:
केंद्रीय GST (CGST) में उत्पाद शुल्क, सेवा कर आदि शामिल हैं।
राज्य GST (SGST) में मूल्यवर्द्धित कर (वैट), विलासिता कर आदि शामिल हैं।
एकीकृत GST (IGST) में अंतर-राज्यीय व्यापार शामिल हैं।
IGST कर नहीं है बल्कि राज्य और संघ के करों के समन्वय के लिये एक प्रणाली है।
चार प्रमुख GST स्लैब हैं:
5%, 12%, 18% और 28%।
कुछ अहितकर और विलासिता की वस्तुएँ जो 28% स्लैब में हैं, उपकर के अतिरिक्त लेवी को आकर्षित करते हैं, जिसकी आय राज्यों को राजस्व की कमी एवं मुआवज़े से संबंधित ऋणों के पुनर्भुगतान के लिये क्षतिपूर्ति करने हेतु एक अलग फंड में जमा होती है।
GST परिषद:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279A में कहा गया है कि GST के प्रशासन और संचालन के लिये राष्ट्रपति द्वारा GST परिषद का गठन किया जाएगा।
इसका अध्यक्ष भारत का वित्त मंत्री होता है और राज्य सरकारों द्वारा मनोनीत मंत्री इसके सदस्य होते हैं।
परिषद को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि केंद्र के पास एक-तिहाई वोटिंग शक्ति होगी और राज्यों के पास 2/3 वोटिंग शक्ति होगी।
जबकि निर्णय सदस्यों के 3/4 बहुमत के आधार पर लिये जाते हैं।
उत्तराखंड स्थापना दिवस
प्राकृतिक संपदा और नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर, 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में किया गया था। देशवासियों की आस्था की प्रतीक पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल तथा धार्मिक पर्यटन स्थलों, मंदिरों और नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण प्रकृति की गोद मे बसा वर्तमान उत्तराखंड राज्य पहले आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत का हिस्सा था। यह प्रांत वर्ष 1902 में अस्तित्त्व में आया और वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से को अलग करके उत्तराखंड बनाया गया। हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तराखंड राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ उत्तर में चीन (तिब्बत) और पूर्व में नेपाल से मिलती हैं। इसके उत्तर-पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश है। यह प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य है। देहरादून यहाँ की राजधानी है। यहाँ मुख्य तौर पर हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग किया जाता है, जबकि गढ़वाली और कुमाऊँनी यहाँ की स्थानीय बोलियाँ हैं।
53वाँ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव
53वाँ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 20 से 28 नवंबर के बीच गोवा में आयोजित किया जाएगा। इसमें कुल 15 फिल्में गोल्डन पीकॉक अवार्ड के लिये स्पर्द्धा में होंगी जिनमें 12 अंतर्राष्ट्रीय और 3 भारतीय फिल्में शामिल हैं। ज्यूरी में इज़रायल के लेखक और फिल्म निर्देशक नदव लापिड, अमेरिका के फिल्म निर्माता जिन्को गोटोह, फ्राँसीसी फिल्म संपादक पास्कल चावांस, फ्राँसीसी वृत्तचित्र फिल्म निर्माता, फिल्म समीक्षक एवं पत्रकार जेवियर अंगुलो बार्टुरेन तथा भारत के निर्देशक सुदीप्तो सेन शामिल हैं। इस साल प्रतियोगिता वर्ग में जो फिल्में शामिल हैं, उनमें पोलैंड के फिल्म निर्माता क्रिज्सटॉफ ज़ानुसी की परफेक्ट नंबर, मैक्सिको के फिल्म निर्माता कार्लोस आइचेलमैन कैसर की फिल्म रेड शूज़, ईरानी ड्रामा नो एंड तथा हिंदी फिल्म कश्मीर फाइल्स हैं। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) की शुरुआत वर्ष 1952 में की गई थी, पहली बार इस महोत्सव का आयोजन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के संरक्षण में भारत सरकार के फिल्म डिवीज़न द्वारा किया गया था। गौरतलब है कि वर्ष 1975 से इस महोत्सव का आयोजन वार्षिक तौर पर किया जाता है और अब तक इसके कुल 52 संस्करण आयोजित किये जा चुके हैं।
राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस
प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (National Legal Services Day-NLSD) मनाया जाता है। राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (NLSD) की शुरुआत वर्ष 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को सहायता व समर्थन प्रदान करने के लिये की गई थी। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सभी के लिये न्याय सुनिश्चित करने हेतु लोगों को कानून के बारे में जागरूक करना, साथ ही समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता व सलाह प्रदान करना है। भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 को भारतीय संसद द्वारा 9 नवंबर, 1995 को लागू किया गया था। इसलिये 9 नवंबर को ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस’ के रूप में चिह्नित किया गया है। ‘NALSA’ का गठन समाज के कमज़ोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के उद्देश्य से किया गया है। भारत का मुख्य न्यायाधीश ‘NALSA’ का मुख्य संरक्षक होता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है।